Thursday, July 21, 2016

मुद्दा शिक्षकों के रेशनाइजेशन का: गुरूजी 'त्रस्त' बच्चे मस्त

हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी कोई नई बात नहीं है। शिक्षकों की कमी के चलते बरसों से शिक्षा का बंटाधार होता चला आ रहा है। स्कूलों में जितने शिक्षक हैं, वे भी काम के बोझ से लदे हैं। साथ ही उनसे गैर शैक्षणिक काम भी जमकर लिए जा रहे हैं। इसका असर यह हो रहा कि पढ़ाई चौपट हो गई। प्रदेश में करीब 40 हजार शिक्षकों की कमी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हालांकि लगभग 20 हजार नई नियुक्तियां करने की कवायद भी शुरू की जा चुकी है, लेकिन शिक्षकों की नियुक्तियों के बाद रिजल्ट में सौ फीसद सुधार हो पाएगा, इसकी गारंटी अभी तक कोई देने को तैयार नहीं है। प्रदेश में आजकल रेशनेलाइजेशन का दौर चला हुआ है। सरकार को लग रहा है कि रेशनेलाइजेशन से काफी हद तक शिक्षकों की कमी दूर कर काम का समान बंटवारा किया जा सकता है। रेशनेलाइजेशन से न केवल शिक्षकों की कमी का पता चलेगा, बल्कि उन स्कूलों को भी शिक्षक मिल सकेंगे, जिनमें लंबे समय से शिक्षक नहीं हैं। हर बच्चे को शिक्षक उपलब्ध कराने के मकसद से हो रहे रेशनेलाइजेशन का सरकार ने दायरा बढ़ा दिया है। पिछली कांग्रेस सरकार ने रेशनेलाइजेशन प्रक्रिया शुरू कर इसे केवल प्राथमिक शिक्षा तक सीमित रखा था, लेकिन भाजपा सरकार ने स्कूल प्रवक्ताओं से लेकर जेबीटी शिक्षकों तक को रेशनेलाइजेशन में शामिल किया है। राज्य सरकार ने शिक्षकों की तबादला नीति तैयार की है। तबादला नीति को अमल में लाने से पहले रेशनेलाइजेशन बेहद जरूरी था, लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में तबादला नीति पर स्टे हो गया, जिस कारण पूरी प्रक्रिया अधर में लटक जाने की आशंका पैदा हो गई है। बहरहाल, राज्य सरकार हाईकोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखते हुए रेशनेलाइजेशन और तबादला नीति के हक में दलीलें पेश कर इसकी वाजिब वजह बताएगी, लेकिन ताजा हालात ऐसे हैं, जिनमें रेशनेलाइजेशन काफी जरूरी हो गया है। रेशनेलाइजेशन के चलते बरसों से एक ही स्थान पर जमे शिक्षक अपनी कुर्सी हिलने की आशंका से भयभीत हैं और सरकार की रेशनेलाइजेशन प्रक्रिया पर अंगुली उठा रहे हैं। शिक्षकों के तबादले करने से पहले सरकार ने पूरे प्रदेश में रेशनेलाइजेशन के जरिए शिक्षा विभाग का एक्सरे करने का निर्णय लिया है। रेशनेलाइजेशन का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि सरकार के सामने शिक्षकों की वास्तविक जरूरत सामने आ जाएगी। इससे नई भर्तियां करने में भी आसानी होगी। उधर, नई तबादला नीति घोषित होने के बाद हो रहे रेशनेलाइजेशन ने शिक्षकों का पूरा गणित बिगाड़कर रख दिया है, लेकिन यह प्रक्रिया उन बच्चों के लिए दुरुस्त है, जो बरसों से बिना शिक्षकों के पढ़ाई करने की औपचारिकता पूरी कर रहे हैं। रेशनेलाइजेशन का विरोध करने वाले शिक्षकों की दिक्कत यह है कि उन्होंने अपने स्टेशनों को पहले से ही चुन लिया था, लेकिन रेशनलाइजेशन होने के उपरांत संबंधित पोस्ट गायब हो रही हैं, जिस कारण शिक्षकों को अपनी मनपसंद जगह पर टिक पाना मुमकिन नहीं हो रहा है।

नीति निर्धारण में शिक्षकों की उपेक्षा: नीति निर्धारण में सरकार द्वारा शिक्षकों की उपेक्षा की जा रही है। इसी का परिणाम है कि शिक्षा विभाग में नए-नए प्रयोग से शिक्षकों में विरोध देखा जा रहा है। सरप्लस अध्यापकों को रिक्त स्थान पर भेजना ही रेशनलाइजेशन होता है। शिक्षक भी चाहते हैं कि रेशनलाइजेशन हो, लेकिन सरकार ने जिस तरह से इसकी आड़ में मुख्य विषय के पदों को खत्म किया है उससे शिक्षकों में रोष है। सरकार को सबसे पहले स्कूलों में सभी विषयों के पद सृजित करने चाहिए, उसके बाद ही रेशनलाइजेशन करना चाहिए। सरकार जब भी शिक्षा विभाग के लिए किसी नीति का निर्धारण करे तो उसके लिए शिक्षकों का एक प्रतिनिधिमंडल गठित कर उनकी सलाह लेनी चाहिए ताकि जमीनी स्तर पर बेहतर कार्य किया जा सके। विभाग की जमीनी हकीकत को शिक्षकों से बेहतर और कोई नहीं जान सकता। लेकिन विभाग की ओर से उच्च अधिकारी स्तर पर ही सभी निर्णय लिए जा रहे हैं। जो कई बार शिक्षकों व विद्यार्थियों के हित में नहीं होते है। इससे शिक्षकों में रोष पैदा हो जाता है। शिक्षा का मुद्दा बेहद संवेदनशील है ऐसे में इस विभाग में उच्च स्तर पर नए-नए प्रयोग नहीं करने चाहिए और अगर करने भी पड़े तो उसमें शिक्षकों की सलाह अवश्य ली जानी चाहिए। इस मामले को लेकर संघ जल्द ही शिक्षा विभाग के निदेशक व मुख्य सचिव से मिलकर अपना पक्ष रखा जाएगा ताकि शिक्षकों के हितों की अनदेखी न होने पाए।
हम किसी के विरोध में नहीं हैं। शिक्षा की क्वालिटी सुधारना चाहते हैं। हर बच्चे को शिक्षक और हर शिक्षक को बच्चे उपलब्ध कराने की दिशा में काम कर रहे हैं। रेशनेलाइजेशन से इसमें मदद मिलेगी। हमने तबादला नीति बनाई है। शिक्षकों को सिफारिश और चक्करबाजी से अलग कर दिया। करीब बीस हजार नियुक्तियां भी करने जा रहे हैं। आने वाले समय में शिक्षा विभाग में कहीं किसी तरह की दिक्कत अथवा अव्यवहारिकता नहीं रहेगी। शिक्षकों को इसमें सहयोग करना चाहिए। हमने उनके अनुरोध पर तबादलों के लिए विकल्प देने की तारीख तक तीन बार बढ़ाई है। - प्रो. रामबिलास शर्मा, शिक्षा मंत्री, हरियाणा
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: जागरण समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.