Monday, July 18, 2016

संस्कृत को सम्मान देने के चक्कर में घट रहे हिंदी शिक्षकों के पद

हरियाणा सरकार का पूरा फोकस संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने पर है। कैथल जिले में जहां संस्कृत विश्वविद्यालय खोला जा रहा है, वहीं पंचकूला में संस्कृत कालेज खोलने की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। संस्कृत की पढ़ाई के लिए राज्य में करीब पौने छह हजार संस्कृत शिक्षकों के पद सृजित हो गए हैं। मास्टर
(टीजीटी) और सीएंडवी शिक्षकों के रेशनेलाइजेशन में संस्कृत के 5738 और हिंदी के 1652 पद रह गए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इस तरह संस्कृत के शिक्षकों की संख्या तीन गुणा हो गई है। जिन स्कूलों में हिंदी के शिक्षक नहीं होंगे, वहां संस्कृत के शिक्षक ही हिंदी पढ़ाएंगे। हरियाणा राजकीय हिंदी अध्यापक संघ को संस्कृत के अधिक पद सृजित होने पर आपत्ति नहीं है, लेकिन हिंदी के पद घटा दिए जाने पर कड़ा ऐतराज है। शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा का कहना है कि प्रदेश सरकार का पूरा जोर संस्कृत की पढ़ाई और अनुसंधान को बढ़ावा देने की तरफ है। शिक्षा मंत्री के अनुसार संस्कृत शिक्षकों की पदोन्नति व योग्यता से जुड़े विवादों को सरकार ने निपटा दिया है। हिंदी शिक्षकों की कोई कमी नहीं है। संस्कृत के शिक्षक भी अच्छे से हिंदी पढ़ा सकते हैं, लेकिन हमारा जोर संस्कृत पर अधिक है। हरियाणा राजकीय हिंदी अध्यापक संघ के महासचिव मदन लाल पाल, सुशील कौशिक, प्रवीण तायल, कृष्ण कुमार निर्माण और सरल वर्मा का कहना है कि हिंदी अध्यापकों ने कभी मांग नहीं की है कि संस्कृत के पद कम किए जाएं। संस्कृत को बढ़ावा देना अच्छी बात है, लेकिन इसका बहाना बनाकर अगर हिंदी के साथ कुठाराघात किया जाता है तो यह निश्चित रूप से गलत है। 
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साभारजागरण समाचार 
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