खरबूजे पर चाकू गिरे या फिर चाकू पर खरबूजा, कटना आखिर खरबूजे को ही है। यही हो रहा है अब शिक्षा विभाग में। रेशनेजलाइजेशन हो या फिर उच्च न्यायालय का डंडा, या फिर इससे भी आगे विभाग की ओर से जारी जेबीटी सूची के शिक्षकों की नियुक्ति नुकसान तो सीधे विभाग की सबसे कमजोर कड़ी अतिथि अध्यापकों का ही होना है। विभाग की ओर से किए जा रहे रेशनेलाइजेशन की रिपोर्ट की माने तो यहां नियमित शिक्षक सरप्लस नहीं, बल्कि अतिथि अध्यापक सरप्लस हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अगर विभाग की ओर से रेशनलाइजेशन की प्रक्रिया सिरे चढ़ती है तो यह तय है कि अनेकों अतिथि अध्यापक की छुट्टी हो जाएगी। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में शिक्षकों की कमी नहीं है, बस कई स्कूलों में बच्चों से ज्यादा और कइयों में बच्चों से कम शिक्षक हैं। इन्हें अनुपात में करने की आवश्यकता है, लेकिन यह तो अधिकारिक सूचना। इसके अंदर से जो बात निकल कर आ रही है वो अतिथि अध्यापकों के रोजगार से जुड़ी है। मुख्यमंत्री और राजनेता तो अतिथि अध्यापकों को मरहम लगाने के बयान जारी कर रहे हैं, जबकि शिक्षा विभाग उन्हें बाहर करने के हथकंडे अपना रहा है। विभाग की रेशनेलाइजेशन की प्रक्रिया भी उसी के लिए हो सकती है।
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साभार: जागरण समाचार
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