Wednesday, January 6, 2016

लाइफ मैनेजमेंट: कहने की बजाय करके दिखाना हमेशा बेहतर

एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)
वे किसी बेकार बहस का हिस्सा नहीं बनना चाहती थीं। उनका मानना था कि समाज के कल्याण के लिए कोई काम करना बेहतर है, बजाय देश और समाज को चिंतित कर रहे किसी मसले पर कॉफी टेबल पर बैठकर बहस करने के। उनका दृढ़ विश्वास था कि वे देश के युवाओं के मन में सुरक्षा को लेकर खास तौर पर उसकी
जैसी महिलाओं सुरक्षा को लेकर बनी नकारात्मक इमेज को कम करने में मदद कर सकती हैं। इसलिए उन्होंने यह साबित करने के लिए कि भारत महिला ट्रेवलर्स के लिए असुरक्षित स्थान नहीं है, एक रोड ट्रिप पर जाने का फैसला किया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 2014 में अकेले 7000 किलोमीटर के स्वर्णिम चतुर्भुज की यात्रा पूरी करने के बाद 37 साल की ईशा गुप्ता इस साल फिर एक पराक्रमी ट्रिप पर जा रही हैं, जो 10 जनवरी से शुरू हो रही है। इस बार वे गिनिज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का प्रयास कर रही हैं, जो किसी एक देश में किसी अकेली महिला द्वारा मोटरसाइकल पर सबसे लंबी यात्रा का रिकॉर्ड होगा। 
ईशा 17 राज्यों का दौरा करेंगी, 110 कस्बों और शहरों से इतने ही दिनों में गुजरेंगी। 2014 की उनकी विश्वसनीय साथी माइक उनकी बजाज एवेंजर 220 डीटीएसआई एक बार फिर उनकी इच्छा और बात को साबित करेगी कि 'भारत महिलाओं और महिला यात्रियों के लिए असुरक्षित देश नहीं है।' ईशा ने चार साल पहले सीनियर फैसिलिटी मैनेजर का अपना जॉब छोटा-सा ब्रेक लेने के लिए छोड़ दिया था, लेकिन बाद में फिर कभी कोई नौकरी नहीं की। ईशा ने स्वर्णिम चतुर्भुज की मोटरसाइकल से अकेले यात्रा की, चारों मेट्रो शहरों में गईं और यही संदेश दिया कि भारत महिलाओं के लिए असुरक्षित देश नहीं है। जबकि कई मौकों पर कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लोग कुछ चुनिंदा घटनाओं का जिक्र करते हैं और यह बताने की काशिश करते रहे हैं कि देश यात्रा के लिए सुरक्षित नहीं है। उनकी बातों को गलत साबित करने के लिए इस बार उन्होंने छोटे कस्बों और शहरों में जाने का फैसला किया है और संदेश वही होगा कि भारत सुरक्षित है। 
इन 110 दिनों में 38 हजार से अधिक किलोमीटर की यात्रा की योजना है। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट कहा था कि वे इस यात्रा के माध्यम से बदमाशों को चुनौती देना चाहती हैं, लेकिन साथ ही लोगों को यह भी याद दिलाना चाहती हैं कि अधिकांश लोग जीवन की नकारात्मकता पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि हमारे आसपास दुनिया सकारात्मक और अच्छे लोगों से भरी है। वे कहती हैं, 'मेरी सोलो राइड लोगों का ध्यान सकारात्मकता की ओर ले जाने के लिए है'। उनकी राइड की पोजिशन और रूट को ट्विन जीपीएस द्वारा ट्रैक किया जाएगा, जो ओएसएस टैक्नोलॉजी ने उपलब्ध कराया है। यह उन्हें सुरक्षा भी मुहैया कराएगा। ट्विन जीपीएस मुहैया कराने की वजह यह भी है कि एक फेल होने की स्थिति में दूसरा काम करता रहे। और यह वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए भी जरूरी है और किसी छोटी-मोटी तकनीकी खराबी की स्थिति में कोई समस्या हो इसे देखते हुए भी जरूरी है। 
उन्होंने पिछले साल सितंबर में गिनिज वर्ल्ड रिकॉर्ड के लिए उनके ग्लोबल ऑफिस से संपर्क कर इसकी तैयारी शुरू कर दी थी। रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने के उनके नियम काफी सख्त हैं। इसमें हर रोज राइड शुरू करने और खत्म करने की लॉग-इन एंट्री करना भी शामिल है और इसके अलावा इस बात का प्रमाण भी देना होगा है कि वे उस शहर में गई हैं। हालांकि, अभी तक उन्हें अपनी राइड के लिए कोई प्रायोजक नहीं मिला है, लेकिन उन्हें यकीन है कि कोई समाजसेवी मिशन पूरा करने में उनकी मदद के लिए आगे आएगा। वह इस बात के लिए बहुत आश्वस्त हैं कि उनकी ट्रिप छोटे रूप में ही सही, गहरा असर डालेगी जरूर, यह सही दिशा में होगी और सकारात्मकता की दिशा में लोगों के विचारों को आगे बढ़ाएगी। 
फंडा यह है कि अगर आप किसी बात पर पक्का भरोसा करते हैं तो उसके बारे में बात करने के स्थान पर उस पर अमल कीजिए। यह टेबल थपथपाने और जोशीले तर्क पेश करने से कहीं बेहतर है, क्योंकि यह आपको दूसरों से अलग भी करता है।

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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