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देशभर के विश्वविद्यालय अब दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इंजीनियरिंग
प्रौद्योगिकी कोर्स नहीं करवा सकेंगे। इसको लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
द्वारा सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को एक पत्र भेजा गया है। पत्र के
माध्यम से आयोग ने विश्वविद्यालयों को चेतावनी दी है कि यदि कोई भी
विश्वविद्यालय दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी के
कोर्स
करवाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही उनके द्वारा
करवाए गए उक्त विषय को लेकर कोर्सो को यूजीसी मान्यता नहीं देगी। यूजीसी के
फैसले से कहीं न कहीं इससे घर बैठकर इंजीनियरिंग करने वाले विद्यार्थियों
को झटका लगेगा। सबसे अधिक परेशानी बी-टेक एवं एम-टेक कराने वाले
विद्यार्थियों को होगी। यूजीसी का मानना है कि यदि कोई भी विद्यार्थी
इंजीनियरिंग से संबंधित कोर्स घर बैठकर दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से करता है
तो उसे प्रायोगिक जानकारियां नहीं मिल पाती है। ऐसे में कहीं न कहीं
प्रेक्टिकल नॉलेज न मिल पाने के कारण विद्यार्थियों को नौकरी के समय वो
स्केल नहीं मिल पाता है, जो कि इंजीनियरिंग के विद्यार्थी को मिलना चाहिए।
यूजीसी के इस फैसले से हजारों रुपये ऐंठकर फर्जी डिग्री करवाने वाले खेल पर
भी रोक लगेगी।
ऑनलाइन भी नहीं करवा सकेंगे विश्वविद्यालय ये कोर्स: यूजीसी
द्वारा भेजे गए पत्र के अनुसार कोई भी विश्वविद्यालय दूरस्थ शिक्षा के
माध्यम ये बी-टेक एवं एम-टेक के कोर्सो को ऑनलाइन भी नहीं करवा सकेंगे,
क्योंकि दोनों ही कोर्सो में प्रेक्टिकल ज्ञान हासिल करने के लिए
विद्यार्थी की उपस्थित विश्वविद्यालय में अनिवार्य होती है।
मिल चुका है
पत्र: नियंत्रक चौ. बंसीलाल विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ. आर के
यादव का कहना है कि उन्हें यूजीसी सचिव द्वारा भेजा गया पत्र मिल चुका है।
वह कहते है कि विश्वविद्यालय द्वारा उक्त आदेश की पालना की जाएगी।
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साभार: जागरण समाचार
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