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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस राजीव
नारायण रैना ने एक अहम फैसले में कहा है कि यदि किसी को नौकरी से निकाला
जाता है और इसके बाद यदि वह बेरोजगार हो जाता है तो उसे मुआवजा अवश्य मिलना
चाहिए। यह फैसला स्टेट बैंक आफ पटियाला (एसबीओपी) के एक पार्ट टाइम कर्मी
की 16 साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आया है। हाईकोर्ट ने बैंक को
निर्देश
दिया है कि वह कर्मी को 18 फीसदी ब्याज के साथ मुआवजे की रकम अदा करे। पटियाला
स्थित एसबीओपी की शाखा में 13 जनवरी 1998 को राजकुमार नामक एक व्यक्ति को
चौथा दर्जा कर्मचारी के पद पर पार्ट टाइम नियुक्ति मिली। उसे मासिक मानदेय
मिलता था। हालांकि उसी वर्ष 17 नवंबर को उसे कार्य मुक्त कर दिया गया।
राजकुमार ने लेबर कोर्ट में केस दायर कर खुद को नौकरी पर बहाली की मांग की।
बावजूद इसके लेबर कोर्ट ने उसका केस खारिज कर दिया। आखिरकार उसने हाईकोर्ट
की शरण ली। हाईकोर्ट ने 16 साल तक चली न्यायिक प्रक्रिया के बाद फैसला
सुनाते हुए कहा है कि यदि कार्य मुक्त करने से कोई व्यक्ति बेरोजगार होता
है और यदि उसे दोबारा नौकरी पर वापस नहीं लिया जा सकता, तो मुआवजा जरूर
दिया जाना चाहिए।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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