Monday, September 12, 2016

जेंडर बजट को असरदार बनाने की तैयारी

आम बजट में महिलाओं के लिए आवंटित धनराशि उनके विकास पर खर्च हो, यह सुनिश्चित करने को सरकार ‘जेंडर बजट’ की मौजूदा व्यवस्था में व्यापक बदलाव करने जा रही है। अब ‘जेंडर बजट’ में सिर्फ उन्हीं योजनाओं का ब्योरा दिया जाएगा जिनकी शत-प्रतिशत राशि महिलाओं के विकास पर ही खर्च की जानी है। साथ ही इस
धनराशि के खर्च की निगरानी के लिए एक प्रभावी तंत्र भी बनाया जाएगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 से आम बजट में कई अहम बदलाव होने जा रहे हैं। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण बदलाव जेंडर बजट के संबंध में है। ये बदलाव केंद्र और राज्य दोनों के स्तर पर होंगे। 
फिलहाल राज्यों के बजट में दलित और आदिवासियों के कल्याण पर खर्च हुई राशि का ब्योरा दिया जाता है लेकिन जेंडर बजट की राशि के संबंध में ऐसा नहीं है। इसलिए यह जरूरी है कि जेंडर बजट के तहत आवंटित धनराशि का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए एक प्रभावी तंत्र बनाया जाए। 
‘जेंडर बजट’ की शुरुआत आम बजट 2005-06 से हुई थी। जेंडर बजट में फिलहाल दो भाग होते हैं। भाग-ए में उन योजनाओं का विवरण होता है जिनकी शत प्रतिशत राशि महिलाओं के विकास पर ही खर्च की जाती है। वहीं भाग-बी में ऐसी योजनाएं होती हैं जिनकी 30 प्रतिशत राशि ही महिलाओं पर खर्च की जाती है।
सूत्रों ने बताया कि सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि सिर्फ उन्हीं योजनाओं का ब्योरा आम बजट के दस्तावेज में दिया जाए जिनकी शत प्रतिशत राशि महिलाओं पर खर्च की जानी है। साथ ही जिन योजनाओं के कोई स्पष्ट नतीजे जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं दे रहे हैं, उन्हें खत्म करने पर भी विचार चल रहा है। नीति आयोग ने जुलाई में राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ हुई बैठक में इस संबंध में चर्चा भी की है। वित्त वर्ष 2016-17 के आम बजट में केंद्र सरकार के 31 विभागों और मंत्रलयों ने जेंडर बजट के माध्यम से उन योजनाओं का विवरण दिया है जिनके तहत महिलाओं के लिए 100 प्रतिशत या कम से कम 30 प्रतिशत राशि आवंटित की गई है। चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार के 19 लाख करोड़ रुपये से अधिक के बजट में मात्र 90,624 करोड़ रुपये ही जेंडर बजट के तौर पर आवंटित किए गए हैं। यह राशि पिछले वित्त वर्ष में जेंडर बजट के तहत आवंटित राशि से मात्र 2.5 प्रतिशत ही अधिक है।
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साभारजागरण समाचार 
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