Sunday, March 22, 2015

नीम: औषधियों का राजा, जानिए दस स्वास्थ्य लाभ

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नीम का स्वाद बेशक कड़वा होता है, लेकिन इसके फायदे अनेक और बहुत प्रभावशाली हैं। ये जुओं और घमौरियों से तो छुटकारा दिलाता ही है, साथ ही दांत और मसूड़े भी स्वस्थ रखता है। नीम का तेल, इसकी पत्तियां या फिर चाहे लेप हो, ये कई रोगों के निवारण में सहायक है।  प्राचीन आर्य ऋषियों से लेकर आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान नीम के औषधीय
गुणों को मानता चला आया है। नीम व्यापक स्तर पर संपूर्ण भारत में दिखाई देता है। नीम का वानस्पतिक नाम अजाडिरक्टा इंडिका है। नीम में मार्गोसीन, निम्बिडिन, निम्बोस्टेरोल, निम्बिनिन, स्टियरिक एसिड, ओलिव एसिड, पामिटिक एसिड, एल्केलाइड, ग्लूकोसाइड और वसा अम्ल आदि पाए जाते हैं। हमारे दैनिक जीवन में नीम एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आइए जानते हैं कैसे: 
  1. जूएं मर जाती हैं: नीम की निंबोलियों को पीसकर रस तैयार कर लिया जाए और इसे बालों पर लगाया जाए, तो जूएं मर जाती हैं। 
  2. घमौरियों से छुटकारा: गर्मियों में होने वाली घमौरियों से छुटकारा पाने के लिए नीम की छाल को घिसकर लेप तैयार कर लिया जाए और उन हिस्सों पर लगाया जाए जहां घमौरियां और फुंसियां हों, तो आराम मिल जाता है। पानी में थोड़ी सी नीम की पत्तियां डालकर नहाने से भी घमौरियां दूर हो जाती हैं। 
  3. इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए: चैत्र नवरात्रि के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में लोग माता की भक्ति के साथ-साथ साल भर निरोगी रहने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए नीम के ताजे कोमल पत्तों के रस (1 गिलास) का सेवन प्रतिदिन पूरे चैत्र मास के दौरान करते हैं। 
  4. बैक्टीरिया नाश हो जाते हैं: आपको जानकर आश्चर्य होगा कि नीम की पत्तियों को जोर-जोर से कुछ देर के लिए हथेली पर रगड़ लिया जाए और साफ पानी से हथेली धो ली जाए, तो हथेली से बैक्टीरिया नाश हो जाते हैं। यानी नीम एक हैंडवाश की तरह काम करता है और मजे की बात ये भी है कि इसके परिणाम बाजार में बिकने वाले किसी भी हैंडवाश से ज्यादा बेहतर हैं। 
  5. करे एंटीसेप्टिक का काम: नीम की निंबोलियों (नीम का छोटा सा फल) को सुखा कर उनका चूर्ण बना लें। इसका इस्तेमाल दाढ़ी बनाने या हेयर रिमूव करने के बाद... एक चम्मच पानी में यह आधा चम्मच चूर्ण/ पाउडर मिलाकर त्वचा पर रगड़ लिया जाए, तो आपको किसी भी एंटीसेप्टिक उत्पाद की जरूरत नहीं। 
  6. आंखों में आई लाली को दूर करे: आदिवासियों के अनुसार नीम के पत्ते और मकोय के फलों का रस समान मात्रा में लेकर पलकों पर लगाने से आंखों में आई लाली को दूर किया जा सकता है। 
  7. गले की सूजन में आराम: गले की सूजन दूर करने के लिए पातालकोट के आदिवासी नीम की पत्तियां (5 ग्राम), 4 कालीमिर्च, 2 लौंग और चुटकी भर नमक को मिलाकर काढ़ा बना लेते हैं और रोगी को दिन में तीन बार सेवन करने की सलाह देते हैं। 
  8. मधुमेह में आराम: गुजरात के आदिवासियों के अनुसार नीम के गुलाबी कोमल पत्तों को चबाकर रस चूसने से मधुमेह रोग मे आराम मिलता है। 
  9. मुहांसों और दाग-धब्बों से छुटकारा: डांग में आदिवासी लगभग 200 ग्राम नीम की पत्तियों को 2 लीटर पानी में उबालते हैं और जब पानी का रंग हरा हो जाता है, तब उस पानी को बोतल में छानकर रख लेते हैं। नहाने के वक्‍त बाल्टी में 75 से 100 मिलीलीटर इस नीम के पानी को डाल दिया जाता है। इन जानकारों के अनुसार नहाने का पानी संक्रमण, मुहांसे और शरीर से पुराने दाग- धब्बों से छुटकारा दिलाता है। 
  10. बवासीर में आराम: आदिवासी बवासीर जैसे कष्टकारी रोग के इलाज के लिए नीम तथा कनेर के पत्ते की समान मात्रा लेकर प्रभावित अंग में लेप की सलाह देते हैं। इनका मानना है कि ये लेप लगातार एक हफ्ते तक लगाने से कष्ट कम होता जाता है। 
  11. मलेरिया दूर करने के लिए: मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के कोरकु आदिवासी मलेरिया में नीम के तने की अन्दर की छाल को कूटकर कांसे के बर्तन में पानी के साथ कुछ देर के लिए खौलाते हैं और फिर इसे एक कपड़े से छान लेते हैं। इन आदिवासियों के अनुसार इस पानी को अगर दिन में तीन बार मलेरिया से ग्रस्त रोगी को दिया जाए, तो मलेरिया दूर हो जाता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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