निजी स्कूलों में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें नहीं लगाई जा सकती। अगर कोई स्कूल ऐसा करता है तो वह संबंधित बोर्ड के नियमों की अवहेलना कर रहा है। इस बात का खुलासा एडवोकेट वीरेंद्र भादू ने आरटीआई से प्राप्त जानकारी के तहत किया। भादू ने सीबीएसई के सचिव से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत
जानकारी मांगी कि क्या एक प्राइवेट स्कूल मालिक अपने स्कूल में अपनी मनमर्जी से किसी प्राइवेट बुक पब्लिशर की किताबें लगवा सकता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसका जवाब देते हुए सीबीएसई के जनसूचना अधिकारी ने बताया कि कोई भी प्राइवेट स्कूल अपनी मर्जी से अपने स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों उनके अभिभावकों को अपनी पसंद के किसी प्राइवेट बुक पब्लिशर की किताबें खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। सीबीएसई से संबंध स्कूलों में एनसीईआरटी या सीबीएसई की किताबों के अलावा अन्य किसी और पब्लिशर्स की किताबें खरीदने के लिए विद्यार्थियों उनके अभिभावकों को मजबूर नहीं किया जा सकता है।
ऐसा होना सरकूलर के खिलाफ माना जाएगा: आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि यदि कोई स्कूल ऐसा करता है तो इसे अनुचित सीबीएसई के सरकूलर के विरुद्ध माना जाएगा। उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में किसी अन्य प्राइवेट बुक पब्लिशर की किताबें विद्यार्थियों को पढ़ाने का कोई मतलब नहीं है। जब बोर्ड की परीक्षाएं सीबीएसई के प्रश्न पत्र एनसीईआरटी की सामग्री के अनुसार तैयार किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि एनसीईआरटी ने अपनी अभ्यास पुस्तकें बेचने के लिए बाकायदा अपने सेल्स काउंटर्स भी खोल रखें हैं।
सत्र शुरु होने पर सीबीएसई और एनसीईआरटी की पुस्तके उपलब्ध नहीं होती: आमतौर पर शैक्षणिक सत्र शुरु होने के समय सीबीएसई और एनसीईआरटी की पुस्तके उपलब्ध नहीं होती। ये पुस्तकें आधा शैक्षणिक सत्र बीत जाने के बाद ही संबंधित बिक्री केंद्रों पर पहुंच पाती है। अगर ये पुस्तकें समय पर उपलब्ध हो जाती है तो निजी स्कूलों को इन पुस्तकों को लागू करने में कोई एतराज नहीं है। प्राईवेट पब्लिशर्स की पुस्तकें लगाना एक प्रकार की मजबूरी कही जा सकती है। - आत्मा राम झोरड़, अध्यक्ष, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, ऐलनाबाद
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साभार: भास्कर समाचार
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