दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन देश में पहले व्यक्ति हो सकते हैं, जिनके खिलाफ बेनामी संपत्ति कानून का कसा जा सकता है। सत्येंद्र जैन के खिलाफ पुख्ता सुबूतों से लैस आयकर विभाग उनके खिलाफ बेनामी
संपत्ति कानून के तहत केस दर्ज करने की तैयारी में है। इसके अलावा मंत्री रहने के दौरान करोड़ों रुपये के हेरफेर मामले में जैन के खिलाफ सीबीआइ और ईडी का भी कस सकता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। आयकर विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, सत्येंद्र जैन के खिलाफ बेनामी संपत्ति कानून के तहत कार्रवाई करने के पर्याप्त साक्ष्य हैं। उनसे जुड़ी कंपनियों में हवाला के मार्फत करोड़ों रुपये आए। उन रुपयों से दिल्ली के विभिन्न भागों में 200 एकड़ से अधिक जमीन खरीदी गई। इनके रजिस्ट्री पेपर पर सत्येंद्र जैन के फोटो लगे हैं। आयकर विभाग इसे उनकी बेनामी संपत्ति मान रहा है, जिसे उन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान हलफनामा भरते समय चुनाव आयोग से भी छुपाया है।
बेनामी संपत्ति कानून के साथ-साथ सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून और मनी लांडिंग रोकथाम कानून के तहत भी कस सकता है। दरअसल, जैन की स्वामित्व वाली कंपनी मंगलायतन प्रोजेक्ट्स, पारस इंफोसाल्यूशंस और अकिंचन डेवलपर्स में हवाला के मार्फत करोड़ों रुपये उनके मंत्री बनने के बाद भी आए थे। लोकसेवक बनने के बाद आए इस धन को आय से अधिक संपत्ति मानते हुए सीबीआइ उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मुकदमा कर सकती है। आयकर विभाग जल्द ही जैन से जुड़े तथ्यों को सीबीआइ के साथ साझा करने की तैयारी में है।
एक बार सीबीआइ में मुकदमा दर्ज होने के बाद ईडी के लिए सत्येंद्र जैन के खिलाफ मनी लांडिंग रोकथाम कानून के तहत केस दर्ज करने का रास्ता खुल जाएगा। मनी लांडिंग कानून के तहत ईडी को ऐसी संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार है।
- नए कानून के तहत कार्रवाई की तैयारी में जुटा आयकर विभाग
- मंत्री बनने के बाद भी जैन की कंपनियों में हवाला से आए पैसे
- बेनामी संपत्ति कानून में केस दर्ज होने पर आयकर विभाग जमीन के प्लॉट जब्त कर सकता है ।
- अदालत में बेनामी संपत्ति साबित हो जाने के बाद सत्येंद्र जैन को सजा भी हो सकती है।
- माना जा रहा है कि अगले हफ्ते जैन के खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई शुरू हो जाएगी।
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साभार: जागरण समाचार
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