शिक्षा विभाग के जेई ने एजुसेट सिस्टम की जो रिपोर्ट दी इसमें 10,935 साइट में से 9,398 साइट चल रही है। मुख्यालय यह मान कर बैठ गया कि फील्ड में काम सही चल रहा है। इधर, जब सिस्टम के खराब होने की
शिकायत हेड ऑफिस पहुुंंचने लगी। बार-बार शिकायतें मिलने पर जब उत्कर्ष सोसायटी ने सरपंचों से रिपोर्ट मंगाई तो पता चला कि 42 फीसदी साइट ही काम कर रही है। इसमें करीब 33 फीसदी साइट डिश, सिग्नल और अन्य कारणों से बंद पड़ी है। 25 फीसदी साइट पूरी तरह से ठप है। झज्जर में केवल 11 फीसदी ही एजुसेट चालू हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सरपंचों की रिपोर्ट के बाद 2006-07 में सरकारी स्कूलों में अलग अलग विषयों पर शिक्षा देने के लिए एजुसेट सिस्टम लगाए गए थे। लगभग 10 साल हो गए, लेकिन यह सिस्टम अभी तक सही तरह से काम नहीं कर रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी जानी जा रही है कि फील्ड से रिपोर्ट ही सही नहीं मिल रही है।
एसएमसी करेगी देखभाल सोलर से चलेगा सिस्टम: अब निर्णय यह लिया गया कि स्कूल मैनेजमेंट कमेटी एसएमसी एजुसेट सिस्टम की देखरेख करेगी। उनकी जिम्मेदारी में ही सारा सामान दिया जाएगा। पावर के लिए इन स्कूलों में सोलर सिस्टम लगाया जाएगा। इस पर करीब 11 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना है। जिससे यह झंझट खत्म हो जाए कि बिजली है या नहीं। पहले चरण में तीन हजार स्कूलों में सोलर पावर सिस्टम लगाने का निर्णय लिया गया है। हरियाणा उत्कर्ष सोसाइटी ने शिक्षा निदेशालय के पास इसका प्रस्ताव बना कर भेज दिया है। पहले चरण में तीन हजार स्कूलों में यह सिस्टम लगाने की योजना है।
चोरी हो जाती है बैटरी और अन्य सामान: सोसायटी ने जो जांच की इसमें यह भी सामने आया कि ज्यादातर एजुसेट सिस्टम का सामान ही चोरी हो जाता है। क्योंकि स्कूल में रात के वक्त सुरक्षा के इंतजाम सही नहीं है। कुछ स्कूल में बैटरी चोरी हो गई कि तो कहीं कहीं एंटीना खराब है। कई जगह तो पावर सप्लाई ही सही नहीं है। इस वजह से सिस्टम काम नहीं कर रहा था।
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साभार: भास्कर समाचार
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