यह है जींद जिले का गांव लिजवाना खुर्द। खेती-किसानी में तमाम समस्याओं से जूझने वाले गांवों के लिए एक मिसाल। जिला मुख्यालय से 30 दूर बसे 5000 की आबादी वाले इस गांव ने अच्छे शहरों की तरह शिक्षा को अपना हथियार बनाया। 60 वर्ष पहले जब ग्रामीण क्षेत्रों में सिर्फ खेती किसानी ही सबसे बड़ा काम थी, तभी इस
गांव के बुजुर्गों ने चंदा कर प्राथमिक स्कूल बनवाया। तब से जगी शिक्षा की अलख आज पूरे गांव में साफ दिखाई देती है। 700 घरों वाले इस गांव में 500 लोग सरकारी नौकरी में हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 2 आईएएस और 2 एचसीएस भी यहां से निकले। रेलवे, रोडवेज, शिक्षा, स्वास्थ्य, सेना और हरियाणा पुलिस समेत कई विभागों में यहां के लोग कार्यरत हैं। यहीं नहीं सैकड़ों युवा एमबीए, बीटेक कर बाहर शहरों में भी नौकरी कर रहे हैं। इसी गांव से पढ़कर सफलता के शीर्ष पर पहुंचने वाले पूर्व आईएएस अफसर हरियाणा मानवाधिकार आयोग के सदस्य जगपाल अहलावत कहते हैं कि यहां शुरू से प्रतिस्पर्धा का भाव है। एक दूसरे के देखा-देखी यहां युवा परीक्षा की तैयारी करते हैं। जो युवा नौकरियों में लग चुके हैं वह समय-समय पर गांव के 12वीं पास विद्यार्थियों को परीक्षा संबंधी जानकारी दिया करते हैं। हमारे बुजुर्ग जागरूक थे इसलिए उन्होंने शिक्षा को हमेशा बढ़ावा दिया।
गांव के पूर्व सरपंच विद्याधर शर्मा बताते हैं कि बांगरका यह क्षेत्र काफी अविकसित था। पानी के अच्छे साधन नहीं थे, सो खेती भी ठीक से नहीं होती थी। इसलिए बुजुर्गों ने बैठकर गांव में विचार किया कि शिक्षा से तरक्की पाई जा सकती है। इसलिए 60 के दशक में गांव में प्राइमरी स्कूल खुलवाया। बच्चों के पढ़ाई की व्यवस्था की गई। करीब 15 वर्ष तक यह स्कूल चला। 5वीं तक की पढ़ाई के बाद लोगों ने बच्चों को दूसरे कस्बों में भेजने लगे। 8वीं पास लोगों की नौकरी लगने लगी तो रुझान बढ़ता गया। आज गांव में भले ही दो प्राइमरी स्कूल हैं, लेकिन लोग जागरूक हैं। प्राथमिक शिक्षा के बाद बच्चों को 10 किमी. दूर जींद, जुलाना में भेजते हैं। गांव में कंपटीशन का माहौल है। नौकरी पर लगे युवा 12वीं पास विद्यार्थियों को परीक्षा की बारीकियां बताया करते हैं। वहीं, गांव से बाहर सैकड़ों बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। आज हाल यह कि रोडवेज, शिक्षा और स्वास्थ्य महकमे में ही करीब 200 लोग लगे हुए हैं। 300 से ज्यादा युवा सेना, हरियाणा-दिल्ली पुलिस, रेलवे में लगे हैं। कई युवा नौकरी के साथ-साथ खेती को भी देख रहे हैं। 200 से ज्यादा युवा एमबीए और बीटेक कर बाहर नौकरी कर रहे हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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