देश में काले धन पर लगाम लगाने को सरकार तीन लाख रुपये से अधिक के कैश लेन-देन पर रोक लगा सकती है। इतना ही नहीं अगर कोई व्यक्ति या व्यवसायी 15 लाख रुपये से अधिक कैश रखना चाहेगा है तो उसे इसके लिए आयकर आयुक्त से अनुमति लेनी होगी। कैश से लेन-देन को सीमित करने के लिए सरकार कानून भी बना
सकती है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर काले धन की जांच कर रही एसआइटी ने देश में कैश से लेन-देन रोकने के लिए ये सिफारिशें की हैं। सरकार अगर इन सिफारिशों को मान लेती है तो बड़ी राशि में नकद लेन देन पर रोक लग जाएगी। वित्त मंत्रलय के अनुसार एसआइटी का मानना है कि बेहिसाब धन की बड़ी राशि कैश के रूप में रखी जाती है। इसलिए एसआइटी ने विभिन्न देशों के कानूनी प्रावधानों और अदालत की टिप्पणियों पर विचार करते हुए कैश से लेन-देन को सीमित करने के लिए उपाय सुझाए हैं। इसके तहत एसआइटी ने तीन लाख रुपये से अधिक के कैश लेन-देन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है। एसआइटी का कहना है कि इस तरह के कैश लेन-देन को अवैध और दंडनीय करार देने के लिए सरकार को कानून बनाकर उपाय करने चाहिए। मंत्रलय का कहना है कि एसआइटी ने 15 लाख रुपये से अधिक कैश रखने पर भी रोक लगाने की सिफारिश की है।
एसआइटी का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति या व्यवसायी 15 लाख रुपये से अधिक कैश रखना चाहता है तो उसे इसके लिए उस क्षेत्र के आयकर आयुक्त से जरूरी अनुमति प्राप्त करनी होगी। एसआइटी का कहना है कि समय-समय पर विभिन्न जांच एजेंसियों की कार्रवाई में बड़ी मात्र में कैश पकड़ा गया है, इससे पता चलता है कि लोग बेहिसाब धनराशि को कैश के रूप में रखते हैं। इसलिए तीन लाख रुपये से अधिक के कैश लेन-देन पर रोक लगाने की सिफारिश तभी सफल हो सकती है जब कैश रखने की अधिकतम सीमा तय की जाए। यही वजह है कि एसआइटी ने 15 लाख रुपये से अधिक कैश रखने के लिए आयकर आयुक्त की अनुमति लेनी की सिफारिश की है। मंत्रलय के अनुसार एसआइटी ने अपनी पांचवी रिपोर्ट में ये सिफारिशें की हैं। सरकार ने यह फिलहाल इन सिफारिशों पर जनता की राय मांगी है। सूत्रों का कहना है कि जनता की राय मिलने के बाद सरकार इनको अमल में लाने की दिशा में कदम बढ़ाएगी। इससे पहले भी एसआइटी कालेधन पर लगाम लगाने को कई सिफारिशें कर चुकी है।
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साभार: जागरण समाचार
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