Tuesday, July 12, 2016

जाटों को आरक्षण किन विशेष परिस्थितयों में दिया गया; सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने माँगा जवाब

हाईकोर्टने जाट आरक्षण से अंतरिम स्टे हटाने को लेकर प्रदेश सरकार की अर्जी पर फिर कोई राहत नहीं दी है। सरकार का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने पूछा कि आखिर किन खास परिस्थितियों में आरक्षण देने का फैसला किया गया? जस्टिस एसएस सारों जस्टिस लीजा गिल की खंडपीठ ने अगली सुनवाई 18 जुलाई को तय की है।
 यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। आरक्षण को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं और सरकार के वकीलों ने सोमवार को सुनवाई के दौरान अपने-अपने तर्क और दलीलें पेश कीं। सरकार की ओर से कहा गया कि 6 जातियों को आरक्षण देने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं आधारहीन हैं। आरक्षण कानून बनाकर दिया है। 
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए सरकार की ओर से कहा गया कि देश के विभिन्न हिस्सों में भौगोलिक-सांस्कृतिक विभिन्नता हैं। ऐसे में आरक्षण का खाका पूरे देश में एक जैसा हो, यह जरूरी नहीं। किसी समुदाय विशेष को आरक्षण की जरूरत सरकार महसूस करती है तो यह दिया जा सकता है। अधिकतम सीमा 50% से ज्यादा होने पर कहा कि तमिलनाडु में 69% आरक्षण की व्यवस्था है। वहां इसे कमीशन के माध्यम से लागू किया। हरियाणा सरकार ने भी कानून बनाकर कमीशन का गठन किया। फिर आरक्षण दिया है। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि किन आधार किन खास परिस्थितियों में जाटों को आरक्षण दिया गया। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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