वह दसवीं कक्षा में पढ़ रही थी और पिता शराब पीने के आदी थे, इसलिए दादा ने दसवीं पास करते ही उसकी शादी कर दी। शादी के बाद सात साल तक खेत में काम किया, लेकिन जब लगा कि घर का खर्च नहीं चल सकता तो पढ़ने की ठानी और आज वह जेबीटी टीचर है और अब लेक्चरर की तैयारी कर रही है। बरवाला के दौलतपुर
रोड निवासी महेंद्र की बेटी और सुलखनी गांव के धर्मबीर की पत्नी आशा जांगड़ा ने खुद अपनी सफलता की यह कहानी बताई। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उसकी कामयाबी से प्रेरित होकर गांव की कई बहुओं ने अब शिक्षा की राह पकड़ ली है। एक वक्त था जब गांव से बाहर बहू के पढ़ने जाने पर लोग ताने भी देते थे, मगर आज वे ही लोग अपनी बेटियों को पढ़ाई को प्रेरित करने के लिए आशा की कामयाबी का उदाहरण देते हैं।
आशा ने बताया कि वर्ष 1994 में जब वह 14 वर्ष की थी और दसवीं कर रही थी तो दादा ने उसकी शादी सुलखनी गांव के धर्मबीर जांगड़ा के साथ कर दी। ससुराल में रहकर भी वह पढ़ना चाहती थी, लेकिन हालात कुछ ऐसे हुए कि पढ़ना तो दूर घर का गुजारा भी मुश्किल हो गया। 7 वर्ष तक परिवार के साथ खेती-बाड़ी के काम में हाथ बंटाया, मगर ऐसे में परिवार का गुजारा चलाना भी मुश्किल हो गया।
इसके बाद उसके पति धर्मबीर जांगड़ा अहमदाबाद में प्राइवेट नौकरी करने चले गए। पति के अहमदाबाद जाने के बाद आशा ने भी घिराय के कन्या गुरुकुल में बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। यहां उन्होंने बतौर टीचर मात्र 800 रुपये में नौकरी की। बच्चों को पढ़ाते-पढ़ाते आशा में भी उम्मीद की किरण जगी। गुरुकुल आचार्य सुनीता शर्मा ने राह दिखाई। इतना ही नहीं प्राचार्य ने आशा जांगड़ा को दस जमा दो की परीक्षा के लिए आवेदन करने और परीक्षा शुल्क देने की हामी भर ली। आशा ने परीक्षा की तैयारी शुरू की, मगर अंग्रेजी में पकड़ कमजोर होने पर थोड़ी हताशा हुई। अंग्रेजी की ग्रामर पढ़ाने में पति ने उनकी मदद की। आखिरकार आशा ने दस जमा दो की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की।
इसके बाद आशा ने दयानंद कॉलेज में दाखिला लेकर बीए की परीक्षा उत्तीर्ण की। इस बीच उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर गांव में ही एक स्कूल खोल लिया। आशा ने 2005 में जेबीटी में दाखिला ले लिया और बच्चों को छोड़कर सोनीपत स्थित खानपुर में भगवत फुल सिंह महिला विश्वविद्यालय में जेबीटी मैरिट में पास की। इसके साथ-साथ आशा ने अंग्रेजी में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 2009 में जेबीटी, एचटीईटी क्लियर किया। वर्ष 2011 में आशा जांगड़ा की मेहनत का परिणाम सामने आया और जेबीटी में चयन हो गया। अब आशा लेक्चरर बनने की तैयारी कर रही है और यह सफलता भी शीघ्र ही हासिल कर करने की बात कह रही है।
वह फिलहाल राजकीय कन्या प्राथमिक पाठशाला जुगलान में मुख्य शिक्षिका का चार्ज संभाले हुए हैं। उनके दो बेटे हैं। बड़े बेटे संजय जांगड़ा ने जेबीटी, एचटीईटी, सीटीईटी क्लियर किया और वह राजकीय महाविद्यालय बरवाला में बीए कर रहा है। छोटा बेटा सौरभ जांगड़ा उर्फ सितू एचडीएस कॉलेज टोहाना में वीएलडीए कर रहा है। आशा जांगड़ा को देखकर गांव की बहु-बेटियां भी प्रेरित होकर शिक्षा की तरफ अग्रसित हुई हैं। उनके जेठ के बेटे कपिल की पत्नी सरोज भी जेबीटी कर रही हैं, वहीं पूजा भी जेबीटी कर रही है। गांव की अन्य लड़कियां भी पढ़ाई में खूब दिलचस्पी दिखा रही हैं।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.