वक्त वक्त पर अपनी बेरुखी और मनमानी से भाजपा को असहज करते रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने इस बार बड़ा झटका दिया है। महज तीन महीने पहले मनोनीत होकर राज्यसभा पहुंचे सिद्धू ने पंजाब चुनाव से ऐन पहले नेतृत्व को पूरी तरह अंधकार में रखते हुए इस्तीफा दे दिया। संकेत है कि अब वह आम आदमी पार्टी की ओर से
खुद अपनी पुरानी पार्टी को चुनौती देंगे। उनका यही रुख भांपते हुए भाजपा ने भी तय कर लिया है कि उन्हें मनाने की कोई कोशिश नहीं होगी पर अंदरूनी तौर पर पार्टी हिली हुई है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सोमवार को सिद्धू सुबह 10.20 पर ही राज्यसभा सभापति के कमरे में पहुंच गए थे। 10.30 पर राजनीतिक दलों की बैठक होती है उससे पहले सिद्धू ने सभापति हामिद अंसारी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। बाहर निकले और बिना किसी को बताए दिल्ली छोड़ दिया। भाजपा नेताओं को इसकी आहट मिली तो थोड़ी पड़ताल हुई लेकिन बताते हैं कि उसके बाद यह मन बना लिया गया कि पार्टी उनके पीछे नहीं भागेगी। दरअसल पार्टी असहज है। ज्यादा बड़ी चिंता यह है कि पार्टी को इसकी भनक भी नहीं लगी। कोई भी भाजपा नेता औपचारिक रूप से सिद्धू के बारे में बात करने से बचते रहे। हालांकि उसके बाद से अलग अलग स्तर पर छोटी-छोटी बैठकें होती रहीं। लेकिन यह भी तय है कि कोई फैसला शीर्ष नेतृत्व ही करेगा। पंजाब में राजग सरकार का नेतृत्व कर रहे अकाली दल से खासे नाराज सिद्धू यूं तो लगातार रिश्ता तोड़कर भाजपा के अकेले चलने की वकालत करते रहे थे।
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साभार: जागरण समाचार
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