Wednesday, July 20, 2016

हाई कोर्ट के 'डीम्ड वेकेंसी' वाले फैसले की वजह से अध्यापकों के तबादलों में हो सकती है थोड़ी देरी

हरियाणा में टीचर्स के तबादले की प्रक्रिया पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगाने के निर्देश देते हुए यथास्थिति बनाए रखने को कहा है। हाईकोर्ट ने कहा कि टीचर्स की ट्रांसफर प्रक्रिया को पारदर्शी ढंग से अंजाम देने के लिए पहले एक ही स्टेशन पर 5 साल बिताने वाले टीचर्स की लिस्ट तैयार की जाए। फिर इस लिस्ट को
खाली सीटों के रूप में वेबसाइट पर डाला जाए। जब तक सर्वे की यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक सरकार ट्रांसफर पर कोई फैसला ले और यथास्थिति बनाए रखे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 
अलग अलग याचिकाओं में ट्रांसफर पालिसी को चुनौती देते हुए कहा गया कि हरियाणा सरकार ने पालिसी तैयार की थी कि जिन टीचर्स को एक ही स्कूल में काम करते हुए पांच साल से ज्यादा समय हो जाएगा उन्हें ट्रांसफर किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने ट्रांसफर के आप्शन भी मांग लिए थे। इस सब प्रक्रिया के बाद एक स्थान पर पांच साल से कम समय बिताने वाले शिक्षकों से भी ऑप्शन मांग लिए गए ताकि इस प्रक्रिया को पूरा किया जा सके। हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए स्पष्ट निर्देश जारी कर कहा कि सेकेंडरी एजुकेशन एलीमेंट्री ऐजुकेशन के डायरेक्टर सभी स्कूलों में तैनात शिक्षकों के कार्यकाल के बारे में जानकारी एकत्रित करें। जानकारी में सरकार के सामने पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी और इन्हीं आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए तबादला प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि प्राप्त आंकड़ों को वर्ग के अनुरूप विभाजित करें और एक स्थान पर पांच वर्ष से ज्यादा कार्यरत टीचर्स की लिस्ट तैयार कर इसे बेवसाइट पर डाला जाए। जिन लोगों के नाम अपलोड किए जाएं उनके पोस्टिंग स्थान को रिक्त स्थान की सूची में रखा जाए। कोर्ट ने कहा कि भले ही उस सीट का टीचर वहां निरंतर काम कर रहा हो, मगर उस सीट को वे केंट माना जाए, ताकि वहां कभी भी तबादला हो सके। प्रक्रिया पूरा करने के बाद ही तबादलों की प्रक्रिया को शुरू करें। 
तबादला प्रक्रिया में किसी के साथ भी अन्याय या भेदभाव हो 
तबादलाप्रक्रिया में किसी के साथ अन्याय या भेदभाव हो यह सुनिश्चित करने के लिए ही पारदर्शिता लानी जरूरी है। जब पब्लिक डोमेन पर अध्यापकों के कार्यकाल की सूची जारी हो जायेगी तो प्रत्येक अध्यापक को पता चल जायेगा कि वह कहां स्टैण्ड करता है। कोर्ट ने कहा कि जब तक शिक्षा विभाग सर्वे करवाकर अध्यापकों के कार्यकाल की सूची विभाग की वेबसाइट पर नहीं डालता, तब तक यथास्थिति बनी रहे। 

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साभार: भास्कर समाचार 
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