Wednesday, July 13, 2016

अपनी मांगों को लेकर 9 अगस्त को हरियाणा के कर्मचारी व मजदूर संघ करेंगे 'महारैली'

हरियाणा के सरकारी विभागों के कर्मचारी व विभिन्न ट्रेड यूनियनों से जुड़े मजदूर 9 अगस्त को करनाल में महारैली कर अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे। इस महारैली में 50 हजार कर्मचारियों व मजदूरों को इकट्ठा करने का लक्ष्य है। प्रदेश के कर्मचारियों के प्रमुख संगठन सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने महारैली के लिए 13 से 21
जुलाई के बीच सभी जिलों में बैठकें करने का निर्णय लिया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 23 जुलाई से 7 अगस्त तक जत्थे चलाकर सभी विभागों में कर्मचारी सभाएं करेंगे। सर्व कर्मचारी संघ हरियाण के महासचिव सुभाष लांबा ने बताया कि 13 जुलाई को पंचकूला, रोहतक, अंबाला, हिसार व गुड़गांव, 14 को झज्जर, सिरसा, फरीदाबाद, जींद व भिवानी तथा 18 जुलाई को सोनीपत, यमुनानगर, फतेहाबाद व पलवल जिलों में बैठकें होंगी। इसी क्रम में 19 जुलाई को पानीपत, कुरूक्षेत्र व मेवात, 20 को करनाल, कैथल व रेवाड़ी और 21 जुलाई को महेंद्रगढ़े में बैठकें रखी गई हैं। इन बैठकों में जनसंपर्क अभियान चलाने के लिए जत्थों के रूट तय किए जाएंगे।
ये कर्मी व मजदूर संगठन लेंगे भाग: महारैली मे इंटक, सीटू, एटक, हिन्दू मजदूर सभा, एआइयूटीयूसी, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा, कर्मचारी महासंघ, संयुक्त मंच, बैंक इंप्लाइज फेडरेशन व बीमा इंप्लाइज फेडरेशन से जुड़े पचास हजार मजदूर एवं कर्मचारी शामिल होंगे।
करनाल में 9 अगस्त को महारैली: 
क्यों करनी पड़ रही महारैली>> 
  • छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर किया जाए। 
  • सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट जनवरी 2016 से एक साथ सभी विभागों, बोर्ड, निगम, शहरी निकाय और विश्वविद्यालयों में लागू की जाए। 
  • 18 हजार न्यूनतम वेतनमान लागू किया जाए। 
  • महंगाई पर रोक लगाई जाए। 
  • सभी प्रकार के अनियमित कर्मियोंे को पक्का किया जाए। 
  • स्थायी नेचर के कार्यों पर ठेका कर्मचारी लगाने की बजाय पक्की भर्ती की जाए। 
  • आउटसोसिर्ंग, निजीकरण व ठेका प्रथा पर रोक लगाई जाए। 
  • नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) को रद कर जनवरी 2006 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम के तहत पेंशन दी जाए। 
  • आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर पांच लाख की जाए। 
  • बिजली संशोधन बिल व रोड़ ट्रांसपोर्ट एवं सेफ्टी बिल 2015 को वापस लिया जाए। 
  • ईपीएफ व जीपीएफ की ब्याज दर को बढ़ाए जाए। 
  • 45 दिन में ट्रेड यूनियनों का पंजीकरण सुनिश्चित हो। 
  • नौकरी से निकाले कर्मियों को वापस लिया जाए। 

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साभारजागरण समाचार 
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