एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)
एन. अरविंद कुमार नागपुर के सरस्वती विद्यालय में कक्षा दस तक मेरे सहपाठी थे और इसके बाद हम अपने जीवन में अलग-अलग दिशा में आगे बढ़े और 20 साल बाद ही दोनों एक-दूसरे के संपर्क में आए। उन्होंने स्कूल के अपने सभी दोस्तों को दिसंबर के शुरू में होने वाली अपने बड़े बेटे गीतेश की शादी में चैन्नई आमंत्रित किया था। देश और विदेश के सभी दोस्तों ने इस शादी में शामिल होने का निर्णय किया, क्योंकि सूचना हमें करीब छह महीने पहले ही दे दी गई थी और इसलिए सभी के पास पर्याप्त समय था कि प्लानिंग कर सकें। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। सभी ने सोचा पुराने साथियों के मिलने का भी यह अच्छा मौका है। अरविंद कुमार के छोटे बेटे 24 साल के गुलशन के बारे में जानना भी जरूरी है, जो कॉलेज कैंटीन की रबर जैसी रोटी और पनीली दाल से इतना त्रस्त हो गया था कि एक दिन बहुत सारी मैगी ले आया और अपने कमरे में बनाकर इसे 20 रुपए प्लेट पर दोस्तों को बेची। उसकी यह गर्म मैगी नूडल्स तुरंत ही हिट हो गई और उसने इसे अपना बिज़नेस पैशन ही बना लिया और इंजीनियरिंग की पढ़ाई से भी दूर गया। मैगी का बिज़नेस कॉलेज के दिनों में ही इतना फैला कि टीसीएस में मिली नौकरी करने के बजाय अपनी ईटरी 'गुल्लूस किचन' शुरू कर दिया। आज इसकी चैन्नई और बेंगलुरू में 2 ब्रांच है।
अब फिर से विवाह की बात। दुर्भाग्य से शादी के सिर्फ दो दिन पहले ही शहर में ऐसी बाढ़ आई, जो शहर ने पिछले 100 सालों में भी नहीं देखी थी। जहां तक ट्रेन और विमान सेवाओं का संबंध है शहर पूरी तरह दुनिया के अन्य हिस्सों से कट गया। आप सभी को याद होगा कि एयरपोर्ट सात दिन बंद रहा था। सिर्फ हम स्कूल के करीब 75 साथी बल्कि शहर के भी कई आमंत्रित कार्यक्रम में नहीं पहुंच सके। हालांकि, चैन्नई के अन्य हिस्सों के मुकाबले इस उपनगर पर बारिश का उतना असर नहीं हुआ था। किसी तरह मंडप का इंतजाम किया गया। इतने बड़े आयोजन को करने का कोई सवाल नहीं था। लेकिन अरविंद कुमार के परिवार के लिए दिक्कत यह थी कि जितने लोगों को उन्होंने बुलाया था उस उम्मीद से एक चौथाई ही पाए, इसलिए बहुत-सी खाद्य सामग्री बर्बाद हुई।
इस समय गुलशन को एक विचार आया कि क्यों सारा भोजन खुद बनाया जाए और इसे उन लोगों तक पहुंचाया जाए, जिन्हें भोजन नहीं मिल पा रहा है, इसमें अमीर और गरीब दोनों शामिल थे। दूल्हा, दुल्हन के भाई और होने वाली भाभी खाना बनाने में मदद के लिए आगे आईं। पहले दिन उन्होंने भोजन में चार तरह की डिश 4500 लोगों के लिए तैयार की। धीरे-धीरे कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़ने लगी। अरविंद के दोनों बेटे चैन्नई कॉलेज में ही पढ़े थे और उनके कई दोस्त थे और ये सभी शादी को अधिक यादगार बनाना चाहते थे। गुलशन ने बेंगलुरू से सामान मंगवा लिया। परिचितों ने भी इसमें डोनेट किया और मंडल के साथियों ने रहने का मुफ्त इंतजाम किया।
आखिर में शादी का तीन दिन चलने वाला आयोजन एक सप्ताह के खाना बनाने और खिलाने के मेले में बदल गया। दोस्तों ने तैयार खाना प्रभावित इलाकों में बांटने के लिए बोट का इंतजाम कर लिया। और उस दौरान एक लाख से अधिक फूड पैकेट बांटे गए। और गुलशन और उसका भाई गीतेश सोशल मीडिया पर हीरो बन गए। सभी ने आमंत्रित करने के लिए कपल को बधाई और आशीर्वाद दिया। घनघोर बारिश के बीच शहर में चारों तरफ पानी ही पानी था। जो परिवार 3000 आमंत्रित अतिथियों की शुभकामनाओं के साथ शादी का समारोह करने वाला था उसे आखिर एक लाख से ज्यादा लोगों के आशीर्वाद मिले। इन्होंने अपने जीवन के सबसे यादगार पल को सबसे यादगार पल बनाए रखा। सोशल मीडिया पर उनके इस काम की खूब तारीफ हुई।
फंडा यह है कि खुशीआपके मन की अवस्था है और इसे भयानक हालात को उत्सव की स्थिति में बदलकर भी हासिल कर सकते हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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