सब कुछ बदल गया, लेकिन पुलिस विभाग बदलने के लिए तैयार नहीं है। भले ही थानों का कंप्यूटरीकरण हो गया हो, लेकिन कार्य करने की शैली वही ‘अंग्रेजी हुकूमत’ वाली है। एक बानगी देखें ..हम गश्त में ‘मामूर’ (व्यस्त) थे। ‘हमरान सिपाहियान’ (साथी सिपाही) के साथ मिलकर एक ‘नफर’ (युवक) को पिस्तौल के साथ
पकड़ा है। उसका हश्म हुलिया ‘जैल’ (वह स्वस्थ्य) है। मुखबिर खास (पुलिस को सूचना देने वाला) के जरिए उसे पकड़ा गया है। गिरफ्तारी के डर से खाना नहीं खा रहा है। ‘हश्म खुराक’ दी जाएगी (इच्छा होने पर खाना दिया जाएगा), पुलिस के इन शब्दों को समझने के लिए आमजनों के तो पसीने छूटते ही हैं, साथ ही अधिवक्ता भी परेशान हैं।
अब प्रदेश के डीजीपी ने इन शब्दों के प्रयोग पर रोक लगाने के प्रदेश के सभी जिलों के एसपी को निर्देश दिए हैं। अब देखना है कि कब तक इन शब्दों पर रोक लगती है। ये शब्द अधिकतर उर्दू, फारसी, अरबी भाषा के हैं। इन्हें अंग्रेजी हुकूमत के समय से ही भारत के कई राज्यों के पुलिस विभाग में प्रयोग किए जा रहे हैं, जिसमें हरियाणा भी शामिल है। यही नहीं उस समय की धाराओं को भी अभी तक इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रदेश के थानों में भले ही कंप्यूटर लग गए हों और एफआइआर कंप्यूटर से काटकर दी जा रही हो, लेकिन पुलिस की जीडी यानि जनरल डायरी में आज भी इन शब्दों का इस्तेमाल हो रहा है। यह शब्दावली नए जवानों से लेकर आमजन और अधिवक्ताओं की समझ से परे है। अधिकतर पुलिस विभाग में उर्दू के शब्द इस्तेमाल हो रहे हैं। कभी-कभी इन शब्दों के कारण पुलिस के नए जवानों से जनरल डायरी में एंट्री करते समय गलती भी हो जाती है, लेकिन कानून पुराने समय से जो चला आ रहा है। उसी के तहत थानों के मुंशियों को जनरल डायरी में एंट्री करनी पड़ती है। हरियाणा के पुलिस महानिदेशक यशपाल सिंहल की तरफ से प्रदेश के सभी पुलिस महानिरीक्षक मंडल, पुलिस महानिरीक्षक रेलवे, पुलिस आयुक्त हरियाणा, पुलिस अधीक्षक को पत्र भेजकर ऐसे शब्दों पर रोक लगाने के निर्देश दिए हैं। यह पत्र नए साल से दो दिन पूर्व यानि 30 दिसंबर को जारी किया गया है।
पुलिस की लिखा-पढ़ी के कागजात में उर्दू समेत कई अन्य भाषाओं के शब्द होते हैं। यदि डीजीपी ने इन शब्दों के प्रयोग पर रोक लगाने का कदम उठाया है तो यह अच्छा कदम होगा। इसकी आमजन से लेकन अधिवक्ताओं और न्यायालयों में भी सराहना की जाएगी।-दीपक भारद्वाज, अधिवक्ता एवं पूर्व सचिव बार एसोसिएशन
डीजीपी साहब का पत्र मिल चुका है। इस पत्र में उर्दू के शब्दों को पुलिस विभाग में इस्तेमाल नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं। पत्र मिलने के बाद सभी थानों को आदेशित भी कर दिया है।1-शशांक आनंद, पुलिस अधीक्षक रोहतक
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साभार: जागरण समाचार
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