Monday, September 7, 2015

बेटियों की झिझक दूर करने के लिए शिक्षा विभाग की ओर से मन की बात

बेटियों को शुरू से ही कम बोलने की नसीहत दी जाती है। घरों में परिजनों के बार-बार टोकने के कारण उनके मन में एक डर पैदा हो जाता है। इसके चलते वे चुप रहने लग जाती हैं। इसका दूरगामी असर यह पड़ता है कि वे अपनी परेशानियों को बताने में भी हिचकती हैं। इसी कारण मौजूदा समय में आत्महत्या की घटनाओं का ग्राफ भी बढ़ रहा है। बेटियों को मुखर बनाने के लिए शिक्षा विभाग ने स्कूलों में ‘मन की बात’ कार्यक्रम कराने का
फैसला किया है। इससे बेटियों की झिझक कम होगी और उनमें आत्मविश्वास पैदा होगा। हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद् के नेतृत्व में जिले के प्रत्येक सरकारी और निजी स्कूलों में ‘मन की बात’ कार्यक्रम होगा। यह कार्यक्रम हर माह के तीसरे शनिवार को आधी छुट्टी के बाद होगा। फिलहाल, इसके लिए दो घंटे का समय तय किया गया है। इसमें छात्राएं शिक्षिकाओं, प्राचार्यों और सहपाठियों के सामने अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं को लेकर बातचीत करेंगी। यह महत्वपूर्ण पहलू विद्यार्थी व सामाजिक जीवन और स्कूल के बाहर भी हो सकते हैं। इस पूरे कार्यक्रम की एक रिपोर्ट तैयार कर निदेशालय को ऑनलाइन भी भेजी जाएगी। स्कूलों में मन की बात कार्यक्रम फरवरी और मार्च माह में नहीं होगा।
जिला स्तर का अधिकारी करेगा मानीटरिंग: इस कार्यक्रम के मानीटरिंग की सीधी जिम्मेदारी जिला और ब्लॉक स्तर के शिक्षा अधिकारियों के साथ डीपीसी को भी दी गई है। जो, हर माह किन्हीं दो स्कूलों का औचक निरीक्षण कर उसकी रिपोर्ट निदेशालय को देंगे।
पहले भी शिकायत पेटी की थी शुरू: भाजपा के सत्ता में आने से पहले भी कांग्रेस ने शिकायत पेटी कार्यक्रम शुरू किया था। प्रदेश के सभी सरकारी और निजी स्कूलों में शिकायत पेटी लगाई गई थी, जिसे हर सप्ताह स्कूल में एसएमसी कमेटी की बैठक कराकर खोला जाना था। पर, यह पहल सफल नहीं हो पाई। स्कूली प्रशासन की अरुचि को देखते हुए खुद छात्राओं ने शिकायतें डालनी बंद कर दी। अब देखना यह है कि यह कार्यक्रम कितना सफल हो पाता है? 

साभार: अमर उजाला समाचार 

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