Monday, September 7, 2015

HTET: ऐसे कैसे मिलेगा गृह जिले में सेंटर

जिस मकसद से ऐन वक्त पर हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा (एचटेट) स्थगित की गई थी वह इस बार भी पूरा नहीं होता दिख रहा है। हर जिले में सेंटर देने के मंशा को पूरा करने में कड़ी मशक्कत पेश आ सकती है। हालत यह है कि कई जिलों में एचटेट परीक्षार्थियों की तुलना में केंद्रों की संख्या पर्याप्त नहीं है। ऐसे में उपमंडल स्तर पर परीक्षा केंद्र बनाने के बाद भी समाधान होता नहीं दिख रहा है और हजारों परीक्षार्थी गृह जिले में परीक्षा देने से
वंचित रह सकते हैं। बोर्ड की ब्लैक लिस्ट में शामिल जिलों में इससे ज्यादा परेशानी होगी। जल्द कोई विकल्प नहीं मिला तो पूरे-पूरे आसार हैं कि भिवानी, महेंद्रगढ़, जींद, मेवात के साथ एक-दो और जिलों के परीक्षार्थियों को गृह जिले में इम्तिहान देने का मौका न मिल पाए। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड और शिक्षा विभाग ने हर जिले में एचटेट के लिए परीक्षा केंद्र स्थापित करने के लिए संभावित केंद्रों की लिस्ट मांगी। लेकिन, फिर भी जरूरत पूरी नहीं हो रही है। इसके लिए परीक्षा केंद्र निर्धारण के नियम तक बदलने के बाद भी यह समस्या बोर्ड के लिए सिरदर्द बनी हुई है। पिछली बार की परीक्षा के लिए बोर्ड ने एक-दो जिलों को छोड़कर केवल जिला मुख्यालय पर ही परीक्षा केंद्र निर्धारित किए थे। केंद्रों की कमी के दृष्टिगत बोर्ड ने उपमंडल स्तर पर परीक्षा केंद्र बनाने का निर्णय लिया, इसके बावजूद भिवानी, महेंद्रगढ़, जींद और मेवात जिलों के परीक्षार्थी ज्यादा हैं और परीक्षा केंद्र कम।
इतनी विकट है समस्या: नियमानुसार 310 परीक्षार्थियों पर एचटेट परीक्षा केंद्र बनता है। बोर्ड केवल जिला मुख्यालय स्थित सीबीएसई स्कूल, गवर्नमेंट कॉलेज और यूनिवर्सिटी में ही परीक्षा केंद्र बनाता रहा है। भिवानी जिले में लगभग 38 हजार परीक्षार्थी हैं। इस लिहाज से 125 परीक्षा केंद्रों की जरूरत होगी। मुख्यालय के साथ-साथ यदि उपमंडल स्थित सभी इमारतों को फाइनल कर दिया जाए तो अधिकतम 40-45 सेंटर ही बन पाएंगे। एक इमारत में औसतन दो सेंटर माने तो भी बात बनती नहीं दिख रही है। भिवानी जैसा ही हाल महेंद्रगढ़, जींद और मेवात में है। महेंद्रगढ़ में 23 हजार परीक्षार्थियों के लिए 76 सेंटर चाहिए। बोर्ड नियमों के अनुसार यहां अधिक से अधिक 40 सेंटर बन सकते हैं। जींद में 25 हजार परीक्षार्थियों के लिए 82 सेंटर की दरकार है। मेवात में परीक्षार्थियों की संख्या के मुताबिक 18 सेंटर चाहिए, लेकिन 3-4 से ज्यादा सेंटर की गुंजाइश नहीं है। बोर्ड प्रशासन का कहना है कि पहला प्रयास होगा परीक्षार्थी को गृह जिले में परीक्षा देने का मौका मिले। ऐसा नहीं हो पाता तो बोर्ड परीक्षार्थी की दूसरी और तीसरी च्वाइस पर गौर किया जाएगा।
नियम बदलें तो बने बात: सेंटर चयन के नियमों को और लचीला करके इस समस्या से कुछ हद तक पार पाय जा सकता है। यानी जिन जिलों में परीक्षार्थी ज्यादा हैं और सेंटर कम, वहां सरकारी स्कूल या अन्य इमारतों में परीक्षा केंद्र स्थापित कर दिया जाए। लेकिन बोर्ड के नियमों में सीबीएसई स्कूल, गवर्नमेंट कॉलेज और यूनिवर्सिटी की इमारत के अलावा कहीं और सेंटर नहीं बनाया जा सकता है। 
साभार: अमर उजाला समाचार 
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