Sunday, September 11, 2016

जब कुछ नया बनाना हो: क्रिएटिविटी और इनोवेशन से पहले क्या होता है?

इनोवेशन कैसे होता है, क्या इसका कोई तरीका है। इसे दुनिया के कुछ सफलतम लोगों के कोट्स से भी समझा जा सकता है। फेसबुक के संस्थापक और सीईओ मार्क जकरबर्ग ने कहा है कि - तेजी से काम करना और परंपरागत चीजों को तोड़ना पड़ता है। जब तक आप किसी चीज को तोड़ेंगे नहीं आप तेजी से आगे नहीं बढ़
पाएंगे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। वे कहते हैं कि आंत्रप्रेन्योर्स के लिए इसमें एक खास बात है कि गलतियों के प्रति नजरिया ठीक होना चाहिए। क्योंकि असल में उनका लक्ष्य तो कुछ नया बनाना है, गलतियां करना नहीं है। 
  • फेमस आर्टिस्ट लेडी गागा कहती हैं कि सबसे अहम बात है कि आप अपनी क्रिएटिविटी का सम्मान करते हैं या नहीं। आपको कभी उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए या कभी उस रचनात्मक विचार के उलट कुछ नहीं करना चाहिए। जब वो क्रिएटिव पल आए तब आप उसे यूं ही जाने नहीं दे सकते। क्याेंकि ये पलभर की बात होती है। विचार आता है और तेजी से ओझल भी हो जाता है। वे एक घटना बताती हैं- एक रात को मुझे एक आउटफिट का आइडिया आया। मैं उस समय सोने जा चुकी थी, लेकिन तुरंत बिस्तर से उठी और मैंने कागज पर आउटफिट का स्कैच तैयार कर लिया। फिर सोने चली गई। मुझे लगता है कि जब आप यह कहने लगते हैं कि बहुत थक गए हैं और मुझे सोना ही है तो रचनात्मकता भी रुकने और थमने लगती है। अगर ईश्वर की ओर से कॉल आया है तो आपको फोन तो उठाना ही होगा। 
  • हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर क्लेटॉन क्रिश्चियन मानते हैं- इनोवेशन अक्सर पहले प्रयास में सफल नहीं होते। आप कई प्रयास करते हैं और असफल हो जाते हैं। लेकिन फिर से प्रयास करने लगते हैं। जब आप बार-बार प्रयास करते हैं तो इस तरह यह कहने का आत्मविश्वास पैदा होता है कि अभी हम असफल नहीं हुए हैं। काम जारी है। और इसी काेशिश से अंत में आपको व्यावसायिक सफलता भी मिलती है। 
  • प्रतिष्ठित लेखक जेके रोलिंग कहती हैं- कल्पनाएं विशेष मानवीय गुण है और यही सभी इनोवेशंस का मूल है। कल्पनाएं ही क्रिएटिविटी का आधार हैं। 
  • नेस्ट कंपनी के संस्थापक टोनी फाडेल कहते हैं - मुझे हमेशा संदेह होता है। जो भी मैं करता हूं उस पर संदेह होता है। जब भी आप कुछ नया करते हैं तो यह संदेह अंदर से पैदा होता है कि क्या यह सही है। अगर संदेह नहीं हो रहा है तो इसका मतलब है कि नया करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए गए हैं। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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