Tuesday, September 6, 2016

पिछड़ा वर्ग आयोग के चेयरमैन ने चीफ सेक्रेटरी को लिखी चिट्‌ठी: जल्द जारी हो सकते हैं जातीय जनगणना के आंकड़े

वर्ष 2011 हुई जातीय जनगणना के आंकड़े प्रदेश में अब कभी भी रिलीज हो सकते हैं। इसकी वजह यह है कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने प्रदेश सरकार से जातीय जनगणना के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में पिछड़ा वर्ग में शामिल जातियों का प्रतिनिधित्व भी बताने को कहा है। इस संबंध में आयोग के चेयरमैन एसएन अग्रवाल की
ओर से चीफ सेक्रेटरी डीएस ढेसी को एक पत्र भी लिखा गया है। जातीय जनगणना के आंकड़े अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। आयोग का कहना है कि संविधान के आर्टिकल 16 सब क्लॉज 4 में यह प्रावधान किया गया है कि सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में उन जातियों को अवसर उपलब्ध कराए जाने हैं, जिनका नौकरियों में या तो उचित प्रतिनिधित्व नहीं है अथवा उन्हें प्रतिनिधित्व मिला ही नहीं है। यह प्रतिनिधित्व भी उनकी जनसंख्या के अनुपात में दिया जाना है। इसके लिए उन वर्गों की जनसंख्या और नौकरियों में प्रतिनिधित्व के आंकड़े जरूरी हैं। रिजर्वेशन को लेकर अक्सर यह मुद्दा उठता है कि अमुक जाति का प्रतिनिधित्व कम है, इसलिए उन्हें आरक्षण दिया जाए। जबकि आरक्षण से बाहर जातियों का तर्क इनके विरोध में होता है। यही वजह है कि कई वर्ग आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन करने लगते हैं। इस तरह के मामलों की सुनवाई करके पक्ष रखने के लिए राज्यों में पिछड़ा वर्ग आयोग बनाए गए हैं, जबकि नेशनल लेवल पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग है। 
सीएस को पत्र लिख मांगे हैं आंकड़े: आयोग की ओर से राज्य की जातिवार जनगणना के आंकड़े उपलब्ध कराने के लिए चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखा गया है। आयोग ने सरकार से सभी सरकारी विभागों में श्रेणी एक से श्रेणी चार तक के अधिकारियों और कर्मचारियों की जातिगत संख्यात्मक जानकारी मांगी है। जाट आरक्षण के पक्ष में और विरोध में कई आपत्तियां आयोग में दर्ज की गई हैं। जिन पर सुनवाई चल रही है। कई नई जातियों ने भी आयोग से पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की मांग की है। -एस.एन. अग्रवाल, चेयरमैन राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग 
आयोग के सूत्रों का कहना है कि पिछले महीने 16 तारीख को ही दिल्ली में सभी राज्यों के पिछड़ा वर्ग आयोग चेयरमैनों की एक सेमिनार हुई थी। इस सेमिनार में भी जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक किए जाने का मुद्दा उठा था। क्योंकि इन आंकड़ों के अभाव में आयोगों को अपना काम करने में काफी कठिनाई हो रही है। हरियाणा में हाल ही में हिंसक आंदोलन के बाद सरकार ने जाट और 5 अन्य जातियों को आरक्षण का लाभ दिया है। जबकि अन्य जातियों के बारे में विचार करने के लिए आयोग का गठन किया गया है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.