Thursday, September 15, 2016

वाड्रा डीएलएफ जमीन घोटाला: जमीन पहले बिकी, लाइसेंस रिन्यू हुआ बाद में

गुड़गांव में वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील समेत विभिन्न कंपनियों को दिए गए कामर्शियल लाइसेंस मामले की जांच करने वाले जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की रिपोर्ट में कई अहम खुलासे हुए हैं। जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट में दो प्रमुख कंपनियों के बीच सांठगांठ को उजागर करते हुए उन पर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट
की खास मेहरबानी होने की बात स्वीकार की है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट ने जमीन की बिक्री हो जाने के पश्चात लाइसेंस का नवीनीकरण किया था। जस्टिस एसएन ढींगरा ने इस दरियादिली को नियमों के विपरीत करार दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक 18 जनवरी 2011 को खास कंपनी को मिले कामर्शियल लाइसेंस का नवीनीकरण किया गया था, जो 14 दिसंबर 2012 तक वैध था। नवीनीकरण के लिए दो आवेदन 15 नवंबर 2010 और 30 नवंबर 2010 को किए गए थे। जस्टिस ढींगरा की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि नवीनीकरण के लिए यह आवेदन लाइसेंस लेने वाली कंपनी के माध्यम से नहीं किए गए, बल्कि उस कंपनी के जरिए आए, जिसे लाइसेंस हस्तांतरित कर दिया गया था। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट की मेहरबानी यह हुई कि लाइसेंस नवीनीकरण प्रमुख कंपनी का हुआ और नवीनीकरण की प्रति उस कंपनी के पते पर भेजी गई, जिसने आवेदन किया था। जस्टिस ढींगरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि लाइसेंस का नवीनीकरण एक धोखाधड़ी थी। लाइसेंसी हालांकि 7 अक्टूबर 2009 को भूमि की बिक्री कर चुका था और 50 करोड़ रुपये की राशि एडवांस में प्राप्त भी कर चुका था, इसके बाद भी लाइसेंस का नवीनीकरण कर दिया गया। इस तथ्य को विभागीय अधिकारियों ने पूरी तरह से नजर अंदाज किया है। ढींगरा की रिपोर्ट के मुताबिक लाइसेंसी कंपनी की 31 मार्च 2010 की बैलेंस सीट के ऑडिट में इस बात का उल्लेख भी है।
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साभारजागरण समाचार 
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