Wednesday, September 21, 2016

शिक्षा में बेहद 'पिछड़ा' है भारत: सवा सौ साल लग जाएंगे विकसित देशों के बराबर आने में

यदिदेश में शिक्षा पर खर्च मौजूदा रफ्तार से ही होता रहे और अच्छे शिक्षकों की कमी जैसी समस्याएं जस की तस बनी रहें तो भारत को विकसित देशों की शिक्षा के स्तर तक पहुंचने में छह पीढ़ी या 126 साल लग जाएंगे। यह दावा उद्योग संगठन एसोचैम ने अपनी एक रिपोर्ट में किया है। रिपोर्ट में देश की शिक्षा व्यवस्था में
'प्रभावशाली' बदलाव करने का आह्वान किया गया है। चैंबर ने कहा है कि भारत ने शिक्षा के क्षेत्र में तेज प्रगति की है, लेकिन शिक्षा के स्तर में मौजूदा खाई तब तक भरती नहीं दिखती क्योंकि विकसित देशों ने शिक्षा पर किए जा रहे खर्च की रफ्तार में कोई कमी नहीं की है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 
प्राथमिक शिक्षा पर जीडीपी का सिर्फ डेढ़ फीसदी खर्च: सरकारीआंकड़ों के मुताबिक प्राथमिक शिक्षा पर जीडीपी का 1.57%, जबकि माध्यमिक शिक्षा पर महज 0.98% खर्च होता है। उच्च और तकनीकी शिक्षा पर तो इससे भी कम खर्च हो रहा है। राष्ट्रीयशिक्षा मिशन के लिए 28,010 करोड़ रुपए: 2016-17के बजट में राष्ट्रीय शिक्षा मिशन के लिए 28,010 करोड़ रुपए आवंटित करने का प्रस्ताव है। जिसमें से 22,500 करोड़ रुपए सर्व शिक्षा अभियान के लिए रखे गए हैं। स्कूलों में मध्याह्न भोजन के लिए 9,700 करोड़ रुपए का प्रावधान। 
जीडीपी का महज 3.83% हिस्सा होता है खर्च: भारतशिक्षा पर अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का महज 3.83 फीसदी हिस्सा खर्च करता है और यह रकम विकसित देशों की बराबरी करने के लिए पर्याप्त नहीं है। अमेरिका शिक्षा पर अपने जीडीपी का 5.22 फीसदी, जर्मनी 4.95 फीसदी और ब्रिटेन 5.72 फीसदी खर्च करता है। संयुक्त राष्ट्र की सिफारिश के मुताबिक, हर देश को अपनी जीडीपी का कम से कम छह फीसदी शिक्षा पर खर्च करना चाहिए। 
देश में 31 करोड़ 50 लाख छात्र: यदिभारत शिक्षा पर बजट बढ़ाता है तो भारत दुनिया के लिए प्रतिभा का बड़ा स्रोत बनकर उभर सकता है। इस समय देश में 31 करोड़ 50 लाख छात्र हैं, जो दुनिया में सर्वाधिक छात्र आबादी है। 
योग्यशिक्षकों की कमी बड़ी बाधा: शिक्षाके क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती अच्छे शिक्षकों की कमी है। वर्तमान में 14 लाख शिक्षकों की कमी है। इसके अलावा 20 प्रतिशत शिक्षकों की योग्यता राष्ट्रीय शिक्षक योग्यता परिषद के मानकों के अनुरूप नहीं है। 
कौशलविकास पर ध्यान कम: भारतसबसे कम कौशल वाले देशों में एक है। देश में सिर्फ 4.7% कामगारों को औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त है। जापान में यह आंकड़ा 80%, दक्षिण कोरिया में 95%, जर्मनी में 75%, ब्रिटेन में 68%और अमेरिका में 52% है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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