Monday, September 12, 2016

जज्बा: 80 की उम्र में सीखी संस्कृत, 88 में टाइपिंग, 12 साल में श्री सुंदरकांड जी का अंग्रेजी अनुवाद, 100 की उम्र में विमोचन

शरीर बूढ़ा हो सकता है, लेकिन इच्छाशक्ति कभी नहीं। यह बात अमेरिका में टेक्सास के क्रिस्को गांव में रह रहे भारतीय रामलिंगम सरमा ने सच साबित कर दी। 12 साल से जारी अंग्रेजी में सुन्दरकाण्ड के अनुवाद का काम इन्होंने अपने 100वें जन्मदिन पर पूरा कर दिया। वे अपने जीते जी सुन्दरकाण्ड का ज्ञान अंग्रेजी में लोगों के
सामने लाना चाहते थे। खुद से किए वादे को उन्होंने प्रेरणा बनाया और कर दिखाया। वे पुस्तक की बिक्री नहीं करेंगे, बल्कि ग्रंथालयों, संस्कृत के शोधार्थियों को मुफ्त में भेंट करेंगे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उन्होंने फोन पर बताया कि कैसे बिना किसी की मदद के 65 साल पहले जो करने की सोची थी, उसे उम्र के अंतिम पड़ाव में पूरा दिखाया। 
बचपन में दादा और मां सुन्दरकाण्ड का पाठ किया करते थे। तब पाठ का अर्थ समझ नहीं आता था, लेकिन सुनने में मीठा लगता था। कॉलेज खत्म कर मैंने बेंगलुरू में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स ज्वाॅइन कर लिया। सुन्दरकाण्ड के वे पाठ छूट गए। 32 साल नौकरी करने में गुजर गए। मुझे 35 साल की उम्र में तमिल भाषा में सुन्दरकाण्ड पढ़ने का मौका मिला। उसने मुझे काफी प्रभावित किया। हजारों साल पहले संस्कृत में रचे गए इस ग्रंथ को पढ़ने की ठानी। लेकिन उस समय मुझे संस्कृत आती थी और ही सीखने का समय मिला, इसलिए उस वक्त संस्कृत में सुन्दरकाण्ड नहीं पढ़ पाया। 
रिटायर होने के बाद भी कई साल ट्रेनिंग, अन्य प्रोजेक्ट को पूरा करने में गुजर गए। मैं भारत में पत्नी शकुंतला के साथ रहता था लेकिन उसके निधन के बाद बेटे ने अमेरिका बुला लिया। मैं वहां जा बसा। अभी टेक्सास प्रांत के क्रिस्को गांव में रहता हूं। 80 साल का था जब एक दिन घर में बैठे-बैठे बचपन के दिन में खो गया। तभी दादा और मां के सुनाए हुए सुन्दरकाण्ड के पाठ याद गए। याद अाया कि मैंने संस्कृत में सुन्दरकाण्ड पढ़ने की ठानी थी। उस दिन मुझे महसूस हुआ कि साधारण जीवन बिताने से अच्छा है, वह अधूरा काम किया जाए, जो 65 साल पहले सोचा था। 
शुरुआत संस्कृत सीखने से की। टेक्सास में जब संस्कृत सिखाने वाला कोई नहीं मिला तो खुद ही इंटरनेट की मदद से सीख ली। संस्कृत सीखने और सुन्दरकाण्ड पढ़ने-समझने मेंे 8 साल गुजर गए। लगा कि इसका अध्ययन समाज के लिए भी जरूरी है तो अंग्रेजी मंे अनुवाद करने की सोच ली। 88 साल की उम्र में टाइपिंग स्कूल में एडमिशन ले लिया। अपने स्कूल का सबसे बूढ़ा विद्यार्थी था मैं। कभी बेटा, तो कभी पोता स्कूल छोड़ने जाता था। 2 दिन स्कूल और 5 दिन घर में प्रैक्टिस करता था। थोड़ी स्पीड आई तो अनुवाद शुरू किया। 12 साल तक अनुवाद करता रहा। इसी साल 6 फरवरी को मैं 100 साल का हो गया। और अपनी इस पुस्तक का विमोचन कर जन्मदिन मनाया। 
इस उम्र में अब भी रामलिंगम आईपैड पर जोड़ी गई स्क्रीन की मदद से चार घंटे पढ़ाई करते हैं। कहते हैं कि आज की भागमभाग जिंदगी में नई पीढ़ी उलझती ही जा रही है। वे अपने पुराणों-ग्रंथों से दूर होते जा रहे हैं। मैं चाहता हूं वे इसे पढ़ें, अभ्यास करें, और जीवन में आदर्श स्थापित करने के गुर सीखें। सुन्दरकाण्ड का अंग्रेजी में अनुवाद दो खंडों में प्रकाशित किया गया है। हर खंड में 650 पेज हैं। किताब में श्लोक संस्कृत और रोमन दोनों में लिखे गए हैं, महत्वपूर्ण शब्दों का अंग्रेजी में अर्थ और अंत में श्लोक का अंग्रेजी में अर्थ लिखा गया है।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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