Wednesday, August 12, 2015

जज़्बा: गाँव के लोगों ने खुद के बूते पर ही बना डाला पुस्तकालय

जींद के सिंघाना गांव के लोग अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित थे। आधुनिक समय में शहरी बच्चों के साथ उनकी कदम ताल हो सके, इसके लिए उन्हें गांव में पुस्तकालय की जरूरत महसूस हुई। सरकार ने नहीं सुनी तो युवाओं ने बीड़ा उठाया और लाखों रुपये की लागत से बना दिया पुस्तकालय। अब इस पुस्तकालय में
सभी प्रकार की पुस्तकें मौजूद हैं, जिसमें गांव के छात्र ही नहीं बल्कि ग्रामीण भी ज्ञान बढ़ा रहे हैं।
दो माह में ही रच दिया इतिहास: 12 जनवरी 2015 को स्वामी विवेकानंद जयंती पर गांव के युवा मंडल द्वारा एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इसमें मुख्यातिथि प्रोफेसर वीरेंद्र चौहान ने ग्रामीणों से बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए गांव में पुस्तकालय निर्माण का आह्वान किया। ग्रामीणों को उनकी बात जंच गई और दो माह में ही इसे पूरा कर दिया। ग्रामीणों ने लगभग पांच लाख रुपये की लागत से पुस्तकालय भवन बनाया और उसमें पुस्तकें व फर्नीचर की व्यवस्था की।
लाइब्रेरियन की नियुक्ति: पुस्तकालय के नियमित संचालन के लिए यहां एक लाइब्रेरियन की नियुक्ति की गई है। उसके मानदेय के लिए भी गांव के 20 लोगों ने हर माह 500-500 रुपये दान करने का निर्णय लिया। इस पैसे से पुस्तकालय में प्रतिदिन अखबार व साफ सफाई की व्यवस्था की जाती है।पुस्तकालय का नाम शहीद भगत सिंह पुस्तकालय एवं परामर्श केंद्र रखा गया है। इसका उद्घाटन भी भगत सिंह के वंशज यादवेन्द्र सिंह सन्धू ने 20 जुलाई को किया था। पुस्तकालय बनाने में युवाओं ने जो जोश दिखाया है, उसे आने वाली पीढ़ी भी याद रखेंगी।
साभार: जागरण समाचार 
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