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बरसात के बाद मौसम में अचानक से बदलाव आ जाता है और इस वजह से कई लोगों को
सांस से जुड़ी समस्याएं परेशान करने लगती हैं। हिन्दुस्तानी आदिवासियों के
अनुसार हर एक मौसम का आगमन और विदाई, सेहत पर ज़रूर असर डालता है। मौसम
परिवर्तन की सबसे ज्यादा मार उन लोगों को पड़ती है जिनके शरीर की रोग
प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षाकृत कम होती है। मौसम के बदलते मिजाज के अनुसार
आदिवासी हर्बल जानकार अपने नुस्खों को आंशिक रूप से बदलते भी रहते हैं। ये
हैं बेहतर स्वास्थ के लिए कुछ चुनिंदा हर्बल नुस्खे: - अदरक के टुकड़े और इमली: लगभग 2 कप पानी मे अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े और कुछ पत्तियां इमली की डालें और तब तक उबालें जब तक कि ये एक कप न रह जाए। इसमें 4 चम्मच शक्कर ड़ालकर धीमी आंच पर कुछ देर और उबालें। फिर इसे ठंडा होने दें। ठंडा होने पर इसमें 10 बूंदे नींबू के रस की डाल दें। हर तीन घंटे में इस सिरप का एक बार सेवन करने से खांसी छू-मंतर हो जाती है।
- लहसुन का रस: एक गिलास पानी में एक चम्मच लहसुन का रस मिलाएं और इसे 3 महीने तक दिन में दो बार प्रत्येक दिन लगातार दिया जाए, तो अस्थमा और रक्त से जुड़े विकारों में काफी राहत मिलती है।
- शहद और कच्चे प्याज़ का रस: समान मात्रा में शहद और कच्चे प्याज़ का रस (लगभग एक चम्मच) मिलाकर 3 से 4 घंटे के लिए किसी अंधकारमय स्थान पर रख दिया जाए और बाद में इसका सेवन किया जाए, तो यह खांसी की दवाई के रूप में सटीक कार्य करता है।
- धनिया और जीरा: पातालकोट के चावलपानी गांव के आदिवासी धनिया, जीरा और बच की बराबर मात्रा लेकर काढ़ा बनाते हैं। सर्दी और खांसी से पीड़ित बच्चों को भोजन के बाद यह काढ़ा (10 मि.ली.) दिया जाता है।
- अडूसा के पत्तों का रस और शहद: अडूसा के पत्तों के रस (6 मि.ली.) को शहद (4 मि.ली.) में मिलाकर पीने से भी खांसी और गले की खराश से राहत मिलती है। सर्दी-खांसी के इलाज के लिए पातालकोट के करेयाम गांव के आदिवासी बाजरे के आटे से तैयार रोटी बनाते हैं। इस रोटी को लहसुन, बैंगन और मेथी दाने की सब्जी के साथ खाते हैं। इनका मानना है कि ऐसा भोजन पेट में गरमी लाता है और सर्दी-खांसी ठीक होती है।
- तुलसी के पत्ते: अस्थमा का दौरा पड़ने पर गर्म पानी में तुलसी के 5 से 10 पत्ते मिलाएं और सेवन करें। यह सांस लेना आसान करता है। इसी प्रकार तुलसी का रस, अदरक रस और शहद का समान मिश्रण प्रतिदिन एक चम्मच के हिसाब से लेना अस्थमा पीड़ित लोगों के लिए अच्छा होता है।
- तुलसी और करेले का रस: अस्थमा और ब्रोंकाइटिस को नियंत्रित करने में तुलसी और करेले का रस भी काफी मदद करता है। तुलसी की करीब 15 पत्तियां लेकर एक सामान्य आकार के करेले के साथ कुचल लें और इसे अस्थमा से ग्रसित व्यक्ति को प्रतिदिन रात को सोने से पहले दें। इससे शीघ्र ही फायदा होता है।
- मेथी की पत्तियों का रस: पातालकोट के आदि वासी हर्बल जानकारों के अनुसार मेथी की पत्तियों का ताजा रस, अदरक और शहद को धीमी आंच पर कुछ देर गर्म करके रोगी को पिलाने से अस्थमा रोग में काफी आराम मिलता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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