Wednesday, February 8, 2017

करियर: मेडिकल इमेजिंग टेक्नोलॉजी में बायोफिजिक्स का उपयोग

बायोफिजिक्स, साइंस की एक ब्रांच है, जिसमें हमारे आस-पास मौजूद बायोलॉजिकल सिस्टम को समझने के लिए फिजिक्स और फिजिकल केमिस्ट्री का उपयोग किया जाता है। इसमें फिजिक्स केमिस्ट्री के सिद्धांतों और गणितीय विश्लेषण, कंप्यूटर मॉडलिंग के तरीकों का उपयोग होता है। बायोफिजिक्स, बायोलॉजिकल सिस्टम की कार्यप्रणाली को मॉलीक्यूलर स्ट्रक्चर और इसके गुणों के रूप में समझाता है।
 यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। यह बायोलॉजी और फिजिक्स के बीच एक पुल की तरह है। बायोफिजिक्स की पहली महत्वपूर्ण आविष्कार में 1953 में खोजा गया डीएनए मॉलीक्यूल का डबल हेलिक्स स्ट्रक्चर शामिल है।
हर क्षेत्र में इस्तेमाल: फॉरेंसिक साइंस से लेकर जैविक उपचार में इसकी जरूरत होती है। मेडिकल इमेजिंग टेक्नोलॉजी जैसे कि मैग्नेटिक रिजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई), कंप्यूटेड एक्जिअल टोमोग्राफी स्कैन (कैट) इत्यादि बायोफिजिक्स के आविष्कारों में शामिल हैं। वह जो बायोफिजक्स के क्षेत्र में शोध करता है, बायोफिजिसिस्ट कहलाता है। अणु और परमाणु से लेकर कोशिकाओं और जीवों से लेकर पर्यावरण तक। उदाहरण के लिए दिमाग कैसे काम करता है और जानकारी कैसे स्टोर करता है, पौधे फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया में प्रकाश का इस्तेमाल कैसे करते हैं। 
जॉब प्रॉस्पेक्ट: इस क्षेत्र में बतौर प्रोफेशनल बायोफिजिसिस्ट या साइंटिस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट, सरकारी संस्थाओं में रिसर्च आधारित क्षेत्र में काम कर सकते हैं। इसके अलावा बायोफिजिसिस्ट संबंधित इंडस्ट्री जैसे कि फार्मास्युटिकल कंपनियों और हाईटेक बायोलॉजिकल कंपनियों में भी जॉब कर सकते हैं। साथ ही प्रोफेशनल के लिए शिक्षण संस्थान में भी नौकरी के अवसर हैं। 
एलिजिबिलिटी: इस क्षेत्र में कॅरिअर बनाने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री या बायोलॉजी से संबंधित क्षेत्र में बैचलर डिग्री जरूरी है। हालांकि कुछ संस्थानों में बायोफिजिक्स के बैचलर डिग्री कोर्स उपलब्ध हैं। इसके बाद छात्र बायोफिजिक्स के मास्टर डिग्री प्रोग्राम में प्रवेश ले सकते हैं। 
कमाई: फ्रेशर को 25 से 30 हजार रुपए प्रति माह मिलने की संभावना होती है। अनुभव के बाद यह पैकेज सालाना 5 से 6 लाख रुपए तक हो सकता है। 
बायोफिजिक्सके प्रकार: 
  1. मॉलीक्यूलर बायोफिजिक्स: इसमेंमें मॉलीक्यूल और पार्टिकल्स के संबंध मंे स्टडी की जाती है। 
  2. रेडिएशन: इस फील्ड में ऑर्गनिज्म पर रेडिएशन जैसे- अल्फा, बीटा, गामा, एक्सरे और अल्ट्रा वायलेट लाइट का क्या असर होता है, इस पर अध्ययन किया जाता है। 
  3. साइकोलॉजिकल: इसमें फिजिकल मैकेनिज्म द्वारा लिविंग ऑर्गनिज्म के व्यवहार और क्रिया के बारे में शोध किया जाता है।
प्रमुख संस्थान: 
एम्स, दिल्ली www.aiims.edu/en.html
महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी, केरल http://www.mguniversity.edu/ 
मुंबई यूनिवर्सिटी http://mu.ac.in/portal/
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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