ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण से भड़के अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। अमेरिकी वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को ईरान के 13 नागरिकों और दो दर्जन से अधिक कंपनियों पर बैन का ऐलान किया। इनमें कई एजेंट, कंपनियां, ईरान के लिए बैलिस्टिक मिसाइल तकनीक खरीदने वाले लोग शामिल हैं। ईरान की
मिसाइल टेक्नोलॉजी से जुड़ी लेबनान, चीन, अमीरात की कंपनियों के अमेरिकी नागरिकों के साथ व्यवसाय करने पर पाबंदी लगा दी गई है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अमेरिका का यह कदम ईरान पर दबाव बनाने की कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है। वित्त विभाग के जॉन स्मिथ ने कहा, 'ईरान ने आतंकवाद और अपने बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम को समर्थन देना जारी रखा है। यह विश्वभर में हमारे साझीदारों और अमेरिका के लिए खतरा है। हम सभी विकल्पों के जरिये ईरान पर दबाव बनाएंगे। इसमें वित्तीय प्रतिबंध भी शामिल हैं।' ईरान ने गत रविवार को मिसाइल परीक्षण किया था। ट्रम्प के रुख पर ईरान के शीर्ष नेता अयातुल्लाह अल खमैनी के विदेश मामलों के सलाहकार अली अकबर विलायती ने कहा, इससे अमेरिका को ही हार मिलेगी।
धार्मिक आजादी भी हो सकती है ख़त्म: सात मुस्लिम देशों के लोगों पर पाबंदी लगाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अब देश में धार्मिक आजादी खत्म कर सकते हैं। अमेरिकी मीडिया के अनुसार ट्रम्प प्रशासन इससे जुड़े एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर काम कर रहा है। इस पर दस्तखत हुए तो अमेरिकी लोगों और वहां के संगठनों के धार्मिक भेदभाव को कानून संरक्षण मिल जाएगा। वह दूसरे धर्मों के लोगों को नौकरी, सेवा अन्य लाभ देेने से मना कर सकेंगे। रिपोर्ट्स में दावा है कि ड्राफ्ट हो रहे आदेश में ऐसे कई प्रस्ताव शामिल हैं, जिनकी रूढ़िवादी ईसाई लंबे समय से मांग कर रहे थे। धर्म के आधार पर नौकरी और सर्विस इत्यादि से मना करने वालों को कानूनी संरक्षण देने की बात कही गई है। वहीं, व्हाइटहाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने दावा किया कि इस मुद्दे पर निर्देश जारी करने की अभी कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि जबतक ट्रम्प कोई आदेश नहीं देते, तब तक मौजूदा स्थिति ही अंतिम है। देश में सभी को कोई भी धर्म मानने की आजादी है। लोग बिना किसी भय के अपना धर्म मानें। जानकारों का मत है कि इस आदेश पर हस्ताक्षर करने की सूरत में ट्रम्प धार्मिक आजादी, समलैंगिक और प्रजनन के अधिकार जैसे संवेदनशील मामलों पर विवाद में फंस सकते हैं। इन मुद्दों पर वर्षों से विभिन्न राज्यों और अदालतों में मंथन हुआ है।
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साभार: भास्कर समाचार
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