Saturday, February 11, 2017

स्कूल में गोट क्लब; बकरियों के साथ समय बिताते हैं बच्चे, ताकि जानवरों से प्रेम करना सीखें और जिम्मेदार बनें

बच्चों का व्यवहार सुधारने के लिए इंग्लैंड का एक स्कूल बकरियों की मदद ले रहा है। स्कूल ने पांच बकरियां रखी हैं। ये कैंपस में घूमती रहती हैं। इनकी देखभाल की जिम्मेदारी यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की है। खासकर पहली से छठी कक्षा तक के स्टूडेंट्स की। इसके पीछे स्कूल का मकसद बच्चों में जीव-जंतुओं और लोगों के प्रति प्रेम और दया की भावना पैदा करना और जिम्मेदारी का एहसास कराना है। इस के लिए
इंग्लैंड के शहर ब्रिज्टन स्थित वार्नडीन स्कूल ने 'गोट क्लब' बनाया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। दो महीने पहले बने इस क्लब में 5 बकरियां हैं जिनका नाम रखा है- माया, विलियम, एथेल, एलन और बर्टी। टीचर्स और स्टूडेंट्स के साथ क्लब के 100 से ज्यादा सदस्य बन चुके हैं। स्कूल की फाइनांस डायरेक्टर, हिलेरी गोल्डस्मिथ कहती हैं, 'आजकल बच्चों का ज्यादा समय इंटरनेट पर बीतता है। वो असल दुनिया से दूर हो रहे हैं। इससे बच्चों में हिंसक प्रवृत्ति बढ़ रही है। लोगों और जानवरों के प्रति स्नेह की भावना खत्म हो रही है। हमें उनके इसी व्यवहार को बदलना था। हमें कुछ रिसर्च मिले जिसमें एनिमल थेरेपी के बारे में बताया गया है। इनसे बकरियों का आइडिया आया। बकरियां इसलिए क्योंकि ये ज्यादा छोटी होती हैं बड़ी और ज्यादा ह्यूमन फ्रेंडली भी होती हैं।' 
गोल्डस्मिथ से पूछा गया कि क्या बच्चों में बदलाव दिखा? उन्होंने कहा 'हां, जितना हमने सोचा था उससे ज्यादा। बच्चे खाली समय बकरियों के साथ बिताते हैं। इन्हें खाना खिलाते हैं, बाते करते हैं, खेलते हैं। इनके जरिए बच्चों में आपसी दोस्ती भी बढ़ी है। कम्युनिकेशन स्किल बेहतर हुआ है। कुछ बच्चे तो समय से पहले ही स्कूल जाते हैं ताकि इन्हें खाना खिला सकें। करीब एक हफ्ते पहले हमने कुछ बच्चों के पेरेंट्स से बात की। वो अपने बच्चों के व्यवहार में बदलाव देखकर आश्चर्य में थे। उन्होंने बताया कि बच्चे जिम्मेदार बन रहे हैं। हमारे साथ पहले से ज्यादा वक्त बिताते हैं। घर के छोटे-छोटे काम में मदद करने की कोशिश करते हैं।' 
बच्चों के मानसिक विकास में मददगार होते हैं जानवर: इंटरनेशनलएसोसिएशन ऑफ ह्यूमन-एनिमल ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, जानवर बच्चों के मानसिक विकास में मदद करते हैं। इनके जरिए बच्चों के लिए एन्वायरंमेंट स्टडी, साइंस जैसे विषयों को समझना आसान होता है। इनमें उनका इंटरेस्ट बढ़ता है। वो दूसरों के दुख को कम करना सीखते हैं और जिंदगी को सकारात्मक नजरिए से जीते हैं। 

Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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