स्कूलों में तीन भाषा फॉर्मूले के तहत छात्रों को पहले से पढ़ रहे विषय को नहीं छोड़ना होगा। इस फामरूले के तहत भारतीय भाषाओं की अनिवार्यता को सातवीं कक्षा से ही लागू किया जाएगा। इसके बाद की कक्षा के छात्र
पहले से पढ़ रहे विषयों को दसवीं तक पढ़ सकेंगे। इसी तरह संस्कृत पढ़ने की भी अनिवार्यता नहीं होगी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय के सूत्र कहते हैं कि तीन भाषा फॉर्मूले को अगले सत्र से लागू करने पर तो सरकार दृढ़संकल्प है ही, लेकिन यह भी ध्यान रखने को कहा गया है कि इससे छात्रों को कोई समस्या नहीं हो। ऐसे में सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) के तहत आने वाले स्कूलों में फ्रेंच या जर्मन आदि विषयों को पहले से पढ़ रहे छात्र अब दसवीं तक उसकी पढ़ाई कर सकेंगे। इससे स्कूलों को नए विषयों के अध्यापक तलाशने और रखने के लिए भी समय मिल सकेगा। दसवीं तक तीन भाषा का फार्मूला अनिवार्य होगा, लेकिन इसके तहत संस्कृत अनिवार्य नहीं होगी। इसकी जगह कोई छात्र चाहे तो अपनी क्षेत्रीय भाषा भी चुन सकता है। संविधान की आठवीं अनुसूची के तहत शामिल सभी भाषाओं को इसके तहत शामिल किया गया है। इसके बाद भी अगर कोई छात्र फ्रेंच या जर्मन आदि विदेशी भाषाएं पढ़ना चाहता है तो अतिरिक्त विषय के तौर पर उसे पढ़ सकता है। तमिलनाडु और पुडुचेरी को छोड़ कर देशभर में यह फामरूला लागू होगा। पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने यह मामला उठाया था। उन्होंने कहा था कि स्कूलों में तीन भाषा फामरूले के तहत विदेशी भाषा की बजाय संस्कृत पढ़ाना होगा। मौजूदा मंत्री ने हालांकि स्पष्ट कर दिया है कि संस्कृत को अनिवार्य नहीं किया गया है।
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साभार: भास्कर समाचार
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