थर्मल इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग की एक ब्रांच है। इसके अंर्तगत हीटिंग कूलिंग सिस्टम, हीट ट्रांसफर और फ्लूइड मैकेनिक्स जैसी कई टेक्नोलॉजी शामिल हैं। थर्मल इंजीनियर को थर्मोडायनेमिक्स, हीट ट्रांसफर, मास ट्रांसफर जैसी तकनीक में स्पेशलाइजेशन हासिल होती है। हीट एनर्जी के मैकेनिकल, केमिकल,
इलेक्ट्रिकल एनर्जी में परिवर्तन या इसके उलट प्रक्रिया को थर्मोडायनेमिक्स कहते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मैकेनिकल डिवाइस और इलेक्ट्रिकल सर्किट संचालन के दौरान ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, जिससे डिवाइस के नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन इसमें लगा कूलिंग मैकेनिज़्म इसके अंदरूनी तापमान को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है। इन सिंद्धांतों का उपयोग कंप्यूटर से लेकर कार बैटरी तक में होता है।
थर्मल इंजीनियरिंग के सिद्धांतों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जिसमें इलेक्ट्रिक पावर इंडस्ट्री, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग इंडस्ट्री शामिल हैं। इसके अलावा थर्मल इंजीनियरिंग ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के ऑपरेशंस के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। कार की हीटिंग और कूलिंग, इसमें लगे थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम द्वारा कंट्रोल की जाती है। स्पेसक्राफ्ट संचालन के क्षेत्र में भी थर्मल इंजीनियरिंग का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। एविएशन इंडस्ट्री में एयरोस्पेस, रिसर्च और डेवलपमेंट सेक्टर में भी इसकी अत्यधिक मांग होती है। डिफेंस और रेलवे में मशीनरी में मेंटेनेंस और डिजाइन के लिए थर्मल इंजीनियर की जरूरत होती है। थर्मल इंजीनियर के लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों कंपनियों मंे अच्छे अवसर हैं। वे इलेक्ट्रिक पावर इंडस्ट्री, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री एयर कंडीशनिंग इंडस्ट्री में जॉब कर सकते हैं। एविएशन, डिफेंस रेलवे सेक्टर में भी उनके लिए नौकरी के अवसर मौजूद हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में पीएचडी करने वाले छात्र रिसर्च लैब शिक्षण संस्थानों में भी जॉब कर सकते हैं।
एलिजिबिलिटी: थर्मल इंजीनयर बनने के लिए थर्मल इंजीनियरिंग में एमई या एमटेक की डिग्री आवश्यक है। मैकेनिकल, ऑटोमोबाइल, मरीन या एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से बीई या बीटेक करने वाले छात्र थर्मल इंजीनियरिंग के मास्टर डिग्री कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। बीई या बीटेक कोर्स में प्रवेश अधिकांश संस्थानों में जेईई मेन के स्कोर के माध्यम से मिलता है। इसके बाद थर्मल इंजीनियरिंग के एमई या एमटेक कोर्स में प्रवेश के लिए अधिकतर संस्थानों में गेट स्कोर जरूरी होता है। आगे की पढ़ाई के लिए पीएचडी कोर्स भी कर सकते हैं।
कमाई: इस क्षेत्र में कॅरिअर शुरू करने वाले प्रोफेशनल को 15 से 20 हजार रुपए प्रति माह तक का पैकेज मिल सकता है। कुछ वर्ष के अनुभव के बाद प्रोफेशनल को 4 से 6 लाख रुपए प्रति साल का पैकेज भी मिल सकता है। रिसर्च के क्षेत्र में शुरुआती पैकेज 20 से 25 हजार रुपए तक हो सकता है। बड़ी कंपनियां अक्सर ऐसे प्रोफेशनल्स जिनके पास इंजीनियरिंग के साथ मैनेजमेंट की डिग्री हो को वरीयता देती हैं। ऐसे छात्रों का पैकेज भी ज्यादा होता है।
प्रमुखसंस्थान:
इलेक्ट्रिकल एनर्जी में परिवर्तन या इसके उलट प्रक्रिया को थर्मोडायनेमिक्स कहते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मैकेनिकल डिवाइस और इलेक्ट्रिकल सर्किट संचालन के दौरान ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, जिससे डिवाइस के नष्ट होने का खतरा बढ़ जाता है, लेकिन इसमें लगा कूलिंग मैकेनिज़्म इसके अंदरूनी तापमान को संतुलित बनाए रखने में मदद करता है। इन सिंद्धांतों का उपयोग कंप्यूटर से लेकर कार बैटरी तक में होता है।
थर्मल इंजीनियरिंग के सिद्धांतों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में होता है, जिसमें इलेक्ट्रिक पावर इंडस्ट्री, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री, हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग इंडस्ट्री शामिल हैं। इसके अलावा थर्मल इंजीनियरिंग ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के ऑपरेशंस के लिए भी महत्वपूर्ण होता है। कार की हीटिंग और कूलिंग, इसमें लगे थर्मल मैनेजमेंट सिस्टम द्वारा कंट्रोल की जाती है। स्पेसक्राफ्ट संचालन के क्षेत्र में भी थर्मल इंजीनियरिंग का उपयोग बड़े पैमाने पर होता है। एविएशन इंडस्ट्री में एयरोस्पेस, रिसर्च और डेवलपमेंट सेक्टर में भी इसकी अत्यधिक मांग होती है। डिफेंस और रेलवे में मशीनरी में मेंटेनेंस और डिजाइन के लिए थर्मल इंजीनियर की जरूरत होती है। थर्मल इंजीनियर के लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों कंपनियों मंे अच्छे अवसर हैं। वे इलेक्ट्रिक पावर इंडस्ट्री, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री एयर कंडीशनिंग इंडस्ट्री में जॉब कर सकते हैं। एविएशन, डिफेंस रेलवे सेक्टर में भी उनके लिए नौकरी के अवसर मौजूद हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में पीएचडी करने वाले छात्र रिसर्च लैब शिक्षण संस्थानों में भी जॉब कर सकते हैं।
एलिजिबिलिटी: थर्मल इंजीनयर बनने के लिए थर्मल इंजीनियरिंग में एमई या एमटेक की डिग्री आवश्यक है। मैकेनिकल, ऑटोमोबाइल, मरीन या एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से बीई या बीटेक करने वाले छात्र थर्मल इंजीनियरिंग के मास्टर डिग्री कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। बीई या बीटेक कोर्स में प्रवेश अधिकांश संस्थानों में जेईई मेन के स्कोर के माध्यम से मिलता है। इसके बाद थर्मल इंजीनियरिंग के एमई या एमटेक कोर्स में प्रवेश के लिए अधिकतर संस्थानों में गेट स्कोर जरूरी होता है। आगे की पढ़ाई के लिए पीएचडी कोर्स भी कर सकते हैं।
कमाई: इस क्षेत्र में कॅरिअर शुरू करने वाले प्रोफेशनल को 15 से 20 हजार रुपए प्रति माह तक का पैकेज मिल सकता है। कुछ वर्ष के अनुभव के बाद प्रोफेशनल को 4 से 6 लाख रुपए प्रति साल का पैकेज भी मिल सकता है। रिसर्च के क्षेत्र में शुरुआती पैकेज 20 से 25 हजार रुपए तक हो सकता है। बड़ी कंपनियां अक्सर ऐसे प्रोफेशनल्स जिनके पास इंजीनियरिंग के साथ मैनेजमेंट की डिग्री हो को वरीयता देती हैं। ऐसे छात्रों का पैकेज भी ज्यादा होता है।
प्रमुखसंस्थान:
- दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, दिल्ली dtu.ac.in/
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सिल्चर www.nits.ac.in/
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, हमीरपुर www.nith.ac.in
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साभार: भास्कर समाचार
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