Monday, December 12, 2016

केमिकल इंजीनियरिंग: 8 लाख प्रोफेशनल की कमी है देश में

भारत में इंडस्ट्री के विस्तार और उद्योगों में बढ़ते विदेशी निवेश के कारण केमिकल इंडस्ट्री में तेजी देखने को मिली है। इंडस्ट्री के देश में बढ़ते दायरे से इसमें नौकरी के अवसर भी बढ़े हैं। फिलहाल इस इंडस्ट्री में करीब 20 लाख काम कर रहे हैं जबकि 8 लाख 50 हजार टेक्निकल प्रोफेशनल्स की जरूरत है। केमिकल इंडस्ट्री की देश
की जीडीपी में 2.11 फीसदी हिस्सेदारी है। केमिकल इंडस्ट्री में उत्पादन के मामले में भारत का एशिया में तीसरा और विश्व में छठा स्थान है। वहीं एग्रोकेमिकल के उत्पादन में भारत विश्वभर में पहले स्थान पर है। 2015 में भारत की केमिकल इंडस्ट्री 144 अरब डॉलर की थी और सालाना 11 फीसदी की दर से बढ़कर 2017 तक 224 अरब डॉलर होने का अनुमान है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की केमिकल इंडस्ट्री 2025 तक 403 अरब डॉलर की हो जाएगी। 
केमिकल इंडस्ट्री में 2000 से 2016 के दौरान 11.90 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी हुआ। इसके अलावा भारत से 2016 के अंत तक कुल 1.21 अरब डॉलर के इनऑर्गेनिक केमिकल और 11.51 अरब डॉलर के ऑर्गेनिक केमिकल के निर्यात होने की संभावना है। इन सभी के कारण केमिकल इंजीनियरिंग के युवाओं के लिए नई संभावनाएं हुई हैं।
केमिकल इंजीनियरिंग में केमिकल प्लांट के डिजाइन रखरखाव और रॉ मटीरियल का उपयोग कर केमिकल प्रोसेस डेवलप करना शामिल है। केमिकल से जुड़े उत्पादों को बनाने के लिए केमिकल और इंजीनियरिंग दोनों की जानकारी जरूरी है। इसका दायरा केमिकल टेक्नोलॉजी से जुड़े कई क्षेत्र जैसे मिनरल आधारित इंडस्ट्रीज़, पेट्रोकेमिकल प्लांट्स, फार्मास्युटिकल्स, सिथेंटिक फाइबर, पेट्रोलियम रिफाइनिंग प्लांट्स इत्यादि तक फैला हुआ है। केमिकल इंजीनियर का काम किसी भी अन्य स्ट्रीम के इंजीनियर से ज्यादा विस्तृत होता है। इसमें इंवेंशन, डेवलपमेंट, डिजाइन, ऑपरेशन और मैनेजमेंट प्रक्रिया को देखना शामिल है। 
10वीं के बाद ले सकते हैं प्रवेश: केमिकल इंजीनियर बनने के लिए छात्र 10वीं के बाद तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। बैचलर डिग्री कोर्स में प्रवेश के लिए 12वीं से फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स करने के बाद प्रवेश ले सकते हैं। बीई या बीटेक कोर्स में प्रवेश जेईई मेंस या एडवांस के स्कोर के आधार पर मिलता है। मास्टर डिग्री कोर्स में प्रवेश के लिए अधिकतर संस्थानों में गेट स्कोर जरूरी होता है। आगे की पढ़ाई के लिए छात्र पीएचडी कोर्स में भी दाखिला ले सकते हैं।
पब्लिक और प्राइवेट दोनों सेक्टर में बेहतर संभावनाएं: केमिकल इंजीनियरिंग के बाद प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर में विभिन्न जगहों पर नौकरी की संभावनाएं होती हैं। केमिकल इंजीनियर ऑपरेशंस, मैन्युफैक्चरिंंग, रिसर्च डेवलपमेंट, डिजाइन और कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में जॉब कर सकते हैं। बीई या बीटेक के बाद एमबीए करने वाले मैनेजमेंट के क्षेत्र में जॉब कर सकते हैं। इसके अलावा फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री, फूड प्रोसेसिंग, यूरिया, सीमेंट, कोल प्रिपरेशन और मिनरल प्रोसेसिंग में भी जॉब की संभावनाएं हैं।
शीर्ष संस्थानों से डिग्री लेने वालों को ज्यादा पैकेज: केमिकल इंजीनियर की सैलरी क्षेत्र और संस्थान के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। फ्रेशर को औसतन 12 से 15 हजार रुपए प्रति माह तक की सैलरी मिल सकती है, लेकिन आईआईटी जैसे शीर्ष संस्थानों से डिग्री लेने वाले छात्रों का सालाना पैकेज 5 से 8 लाख रुपए तक होता है। 3 से 4 साल के अनुभव के बाद सैलरी पैकेज प्रति माह 40 से 50 हजार रुपए तक हो सकता है। रिसर्च के क्षेत्र में सैलरी ज्यादा हो सकती है। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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