विमान टिकट रद्द कराना 1 अगस्त से सस्ता हो जाएगा। नए नियमों के अनुसार एयरलाइंस मूल किराया और ईंधन शुल्क से ज्यादा कैंसिलेशन चार्ज नहीं काट सकेंगी। रिफंड के नाम पर प्रोसेसिंग शुल्क भी नहीं ले सकेंगी। यात्री के नाम में करेक्शन पर अतिरिक्त शुल्क नहीं पड़ेगा। डीजीसीए ने इस बारे में नियमों को अंतिम रूप दे
दिया गया है। इसमें कहा गया है, 'टिकट रद्द कराने या इस्तेमाल नहीं करने की स्थिति में एयरलाइंस सभी वैधानिक कर तथा उपभोक्ता विकास शुल्क/हवाई अड्डा विकास शुल्क/यात्री सेवा शुल्क वापस करेंगी। यह नियम किसी भी ऑफर के तहत बुक कराए गए टिकटों पर भी लागू होगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उन टिकटों पर भी जिनमें मूल किराया नॉन-रिफंडेबल है।'
एयरलाइंस रेगुलेटर डीजीसीए ने स्पष्ट किया है कि कोई भी कैंसिलेशन चार्ज मूल किराया और ईंधन शुल्क के योग से अधिक नहीं होगा। इसका कहना है कि एयरलाइंस के खिलाफ यात्रियों की सबसे ज्यादा शिकायतें रिफंड की होती हैं। ज्यादातर शिकायतें रिफंड में देरी और कम रिफंड की होती हैं। कई बार एयरलाइंस टिकट रद्द कराने पर रिफंड देने के बजाय बाद की यात्रा के टिकट में कुछ पैसा एडजस्ट कर देती हैं।
रिफंड की तीन शर्तें:
कार्ड पेमेंट से टिकट: सात दिन के अंदर पैसे वापस मिलने चाहिए।
नकदपैसे से टिकट: जिस ऑफिस से टिकट खरीदा गया वहां से तत्काल रिफंड।
एजेंट/पोर्टलसे टिकट: अधिकतम 30 दिन में रिफंड। जिम्मेदारी कंपनी की।
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साभार: भास्कर समाचार
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