Thursday, July 14, 2016

अब मिड डे मील में दूध पिला कर स्वास्थ्य सुधारने की कवायद

सरकारी स्कूलों के बच्चे तंदरुस्त रहें। इस लिए पहली से आठवीं तक के बच्चों सरकार ने मिड डे मील में दूध भी देने का फैसला किया है। दूध भी सिंपल न होकर फ्लेवर्ड होगा। हर बच्चे को 200 मिली लीटर दूध दिया जाएगा। इसके लिए मौलिक स्कूल निदेशालय ने सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर स्कूलों से
बच्चों की संख्या व दूध गर्म करने के लिए पतीले व गिलास की संख्या की डिमांड हफ्ते भर के भीतर भेजने के निर्देश दिए हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। बता दें कि अब तक पहली से आठवीं के बच्चों को मिड डे मील में गेहूं व चावल से बने पदार्थ दिए जाते रहे हैं। कुछ समय पहले मिड डे मील में बच्चों को खीर भी देना शुरू किया गया था, लेकिन किन्हीं कारणों से उसे बंद कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट में चल रहा मामला: शिक्षा विभाग ने निर्देशों में सुप्रीम कोर्ट में चल रहे स्वराज अभियान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य केस का हवाला दिया है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने छुट्टियों में बच्चों को मिड डे मील उपलब्ध कराने के निर्देश राज्य सरकारों को दिए थे। प्रदेश के शिक्षा विभाग ने जून माह में पत्र जारी करके यह पूछा था कि छुट्टियों के दौरान कितने बच्चे मिड-डे-मील चाहते हैं, जिसमें काफी कम संख्या सामने आई थी।
14 हजार से अधिक स्कूलों के बच्चों को पहुंचेगा फायदा: प्रदेश भर में पहली से आठवीं कक्षा तक के 14 हजार से अधिक सरकारी स्कूल हैं, जिनमें लगभग दो लाख से अधिक बच्चे पढ़ते हैं, उन्हें इसका फायदा होगा। इसमें स्वतंत्र राजकीय प्राइमरी स्कूल, एडेड प्राइमरी स्कूल, प्राइमरी स्कूलों के साथ जुड़े राजकीय अपर प्राइमरी स्कूल, प्राइमरी स्कूलों के साथ जुड़े एडेड अपर प्राइमरी स्कूल, राजकीय अपर प्राइमरी स्कूल, एडिड अपर प्राइमरी स्कूल, नेशनल चाइल्ड लेबर प्रोजेक्ट के स्कूल शामिल हैं।
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साभारजागरण समाचार 

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