Tuesday, July 12, 2016

ये भी जानिए: मुंबई के उसी इलाके में है मुस्लिम धर्मगुरु जाकिर नाईक का दफ्तर जहाँ से निकले हैं हाजी मस्तान, छोटा शकील और दाऊद जैसे नाम

मुंबई का डोंगरी इलाका। अंधेरी गलियों, सिकुड़ी सड़कों से घिरी वो बसाहट जो कभी अंडरवर्ल्ड का गढ़ थी। हाजी मस्तान, दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील, अरुण गवली जैसे नाम यहीं पैदा हुए, बड़े हुए, बदनाम हुए और फिर डोंगरी से दुबई तक पहुंच गए। इसी डोंगरी में एसवीपी रोड पता है डॉ. जाकिर नाइक के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन का। वही जाकिर जो ढाका हमले के आतंकी के इंस्पिरेशन होने की वजह से चर्चा में हैं। आखिर हम इस फाउंडेशन को ढूंढते डोंगरी पहुंचे। मुख्य सड़क पर एक पुरानी सी बिल्डिंग के तीन कमरों के ऊपर अंग्रेजी में इस्लाम पढ़ाने वाली क्लास का बोर्ड लगा है। दरवाजा बंद है। बाहर चार कुर्सियां पड़ी हैं। एक पर पुलिसवाला बैठा है। दूसरी पर बैठे व्यक्ति ने मुझे तभी रोक दिया जब मैं दरवाजा खोलने के लिए हाथ बढ़ा ही रही थी। बोले, 'दफ्तर बंद है।' इसके बाद मेरे हर सवाल का उनके पास एक ही जवाब था- 'हम नहीं जानते।' 
वहीं खड़े होकर भीतर दफ्तर के लैंडलाइन पर फोन लगाया तो पता चला वहां काम चल रहा है। पर उनके एडमिनिस्ट्रेटिव मैनेजर मंजूर शेख बीमार हैं। उनका कोई और नंबर दफ्तर दे नहीं सकता। वहां बैठे पुलिसवाले भी कुछ बताने को तैयार नहीं हैं। उनसे पूछा कि कितने दिनों से यहां हैं? तो जवाब मिला- 'हमने तो चेन स्नैचिंग की घटनाओं के कारण नाका लगाया है।' पर थोड़ी ही देर में उनकी पोल खुल गई। उनका एक सीनियर ये पूछते हुए गाड़ी से उतरा कि, दफ्तर आज खुला है क्या? तो पहले से तैनात सिपाही बोल पड़ा- 'सर प्लीज... मीडिया वाले गए हैं।' जाकिर के लिए सोशल मीडिया पर फैन ग्रुप चलाने वाले मोहसिन बताते हैं कि आईआरएफ के खाते से 50 लोगों को सैलरी मिलती है। नाइक के अलावा उनके भाई मोहम्मद नाइक और पत्नी फरहत नाइक भी फाउंडेशन में शामिल हैं। पत्नी फरहत महिलाओं को इस्लाम पढ़ाती हैं। उनका 20 साल का बेटा फारिक भी लेक्चर देता है। माझगांव में डॉक्यार्ड रोड के जैसमिन अपार्टमेंट में उनके घर के बाहर पुलिस का पहरा है। वैसा ही जैसा डोंगरी के दफ्तर पर है। मोमिन जो पहले राहुल होता था चैंबूर से यहां आया है। वो यहां का स्टूडेंट है। एक दिन पहले उसे वॉट्सएप पर मैसेज मिला कि आज क्लास होगी। पर बाहर बैठे बुजुर्ग ने उसे भी लौटा दिया। राहुल उर्फ मोमिन दफ्तर के चार दुकान बाद एक स्टूडियो के सामने रुककर किसी से बात करने लगा। हमने पूछा तो उसने अपनी कहानी सुना डाली। वो तीन साल से फाउंडेशन रहा है। 15-20 लोगों की बैच में उसकी क्लास लगती है। आज तक जाकिर से मिला नहीं, पर उनका बड़ा फैन है। ऐसी ही क्लास लड़कियों के लिए भी लगती है। उनकी तादाद भी ज्यादा है।

1965 में मुंबई में जन्मे जाकिर के पिता साइकैट्रिस्ट थे। भाई और बहन दोनों जाकिर की ही तरह एमबीबीएस डॉक्टर हैं। जाकिर की अम्मी उन्हें अफ्रीकी डॉक्टर क्रिश्चियन बर्नार्ड जैसा बनते देखना चाहती थीं। बर्नार्ड ने दुनिया का पहला हार्ट ट्रांसप्लांट किया था। पर जाकिर बर्नार्ड की जगह द. अफ्रीकी इस्लामी उपदेशक अहमद दीदत से प्रभावित हो गए। जाकिर दुनियाभर में अब तक 4000 स्पीच दे चुके हैं। 100 देशों में इन लेक्चर्स का प्रसारण करने वाले पीस टीवी चीनी, बांग्ला, हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में काम करता है। दावा है कि इसके 10 करोड़ दर्शक हैं। इसकी शुरुआत 1991 में हुई थी। तब महज 15-20 लोग ही साथ थे। जाकिर का परिवार मूलत: रत्नागिरी का रहनेवाला है। किश्नचंद चेलाराम कॉलेज चर्चगेट से शुरुआती पढ़ाई और मेडिसिन की पढ़ाई टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज से की। उन्हें मानने वाले कहते हैं कि उनकी मेमोरी गजब की है। वो अपने लेक्चर में कुरआन, गीता और बाइबल की बातें सुनाते हैं, जो उन्हें जुबानी याद हैं। खुद को सही इस्लाम का स्टूडेंट कहते हैं। और इस्लाम समझाने वाली 5000 से ज्यादा किताबें उनके डोंगरी सेंटर पर रखी हैं। यहीं वो इस्लामिक इंटरनेशनल स्कूल चलाते हैं। और युवाओं को स्कॉलरशिप भी बांटते हैं। डॉक्यूमेंट्री फिल्ममेकर मकसूद दस साल से जाकिर को फॉलो कर रहे हैं। मौजूदा विवाद को वे गलत बताते हैं। कहते हैं 'वीडियो दिखाया की जाकिर कह रहे हैं हर मुसलमान को टेररिस्ट होना चाहिए। लेकिन उसके आगे का वीडियो नहीं दिखाया जिसमें वे समझा रहे हैं कि टेररिस्ट यानी क्या? टेररिस्ट यानी जो एंटी सोशल लोगों के लिए टेरर बने।' हालांकि जाकिर को ब्रिटेन और कनाडा 2010 में ही बैन कर चुका है। मलेशिया ने भी उनके लेक्चर पर प्रतिबंध लगाया है। बांग्ला टीवी का प्रसारण भी रोका जा चुका है। जाकिर साउदी अरब में हैं। कब लौटेंगे पता नहीं। सोमवार को होटल ट्राइडेंट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रेस से बात करने वाले थे। पर देर शाम कांफ्रेंस कैंसिल कर बयान जारी कर दिया। इसमें कहा कि 'मीडिया किसी को भी हीरो बना सकता है और किसी को भी विलेन। उनकी बातों को काट-छांट कर दिखाया सुनाया जा रहा है। वो हिंसा या आतंकवाद का समर्थन नहीं करते। सरकार के साथ मसले की जांच को तैयार हैं।' 
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साभार: भास्कर समाचार 
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यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।