एन रघुरामन (मैनेजमेंट फंडा)
स्टोरी 1: 2004की गर्मियों की छ़ुटि्टयां। नई दिल्ली में कक्षा 10 के छात्र ने अपनी परीक्षा अन्य के मुकाबले पहले खत्म कर ली तो उसने पास के ही त्यागराज स्टेडियम जाने का फैसला किया। वहां उसने देखा कि कुछ विदेशी एक खेल खेल रहे हैं, जो फुटबॉल की तरह नजर आता था, लेकिन फिर भी बॉल सहित अन्य मामलों में भी यह फुटबॉल से बिल्कुल अलग था। जिज्ञासा के कारण वह पूरी शाम वहां रुका और रग्बी नाम उस खेल के हर पक्ष को समझा। बाद में उसने यही खेल टीवी पर भी देखा। वह इसका नियमित दर्शक बन गया और हर बारीकी को समझा।
जब वह दक्षिण दिल्ली में स्थितअपने गांव मैदान गढ़ही लौटा तो उसने स्कूल के साथियों को यह खेल सिखाना शुरू किया। यही दोस्त कॉलेज में भी उसके साथी बने। खेल की दीवानगी युवाओं में जंगल की आग की तरह फैली और आज इस क्षेत्र से कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकलते हैं। रग्बी की दुनिया में यह छोटा शहरी गांव 'भारत की रग्बी राजधानी' के रूप में जाना जाता है। मिलिए भारत की रग्बी टीम के कप्तान गौतम नागर और दीपक नागर से, जिन्होंने 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स और बाद में चीन में हुए एशियाई खेलों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया। मैदान गढ़ही में रग्बी 2004 में शुरू हुआ और इन दोनों ने छह साल में इस जगह को पहचान दिलाई।
स्टोरी 2: अगर आप मुंबई में किसी से उपनगर मुंब्रा के बारे में पूछेंगे तो लोग हो सकता है कि आपको संदेह की नजर से देखें, क्योंकि यह जगह आमतौर पर अपराधों और गैर कानूनी गतिविधियों के लिए जानी जाती है। आज अगर आप वहां चले जाएं तो हर ऑटो रिक्शा पर उनके हीरो का एक छोटा पोस्टर नजर आएगा, अंडे और मीट की दुकानों पर भी और हर जिम में उस लोकल हीरो का फोटो लगा मिलेगा। नशे की लत में फंसे करीब 100 लोगों ने यह आदत छोड़ दी है और स्वास्थ्य को ही धन बनाने में लगे हैं। शुक्र है 28 साल के उस लोकल हीरो का जिसकी प्रेरणा से यह हो पा रहा है। इस युवक ने बता दिया है कि सकारात्मक नज़रिया रखकर कैसी भी लत से सिर्फ छुटकारा पाया जा सकता है बल्कि नई शुरुआत भी की जा सकती है।
5 फीट 9 इंच ऊंचा यह फिजीक हीरो 12 साल की उम्र में ही अपने पिता को खो बैठा और कॉलेज ड्रॉप आउट है। सलमान खान का प्रशंसक होने के नाते उसने शरीर भी सलमान की तरह बनाने की ठानी। रोजाना कई घंटे जिम में बिताए। और इस माह के शुरू में महाराष्ट्र की अमेचर बॉडी बिल्डिंग एसोसिएशन की प्रतियोगिता में सुपर टॉल वर्ग में पहला स्थान प्राप्त किया। मिलिए मंसूर मुकादम से जो मिस्टर इंडिया क्राउन के लिए तैयारी कर रहे हैं। यह राष्ट्रीय स्पर्धा अगले महीने मेंगलौर में होने वाली है। उसने कई और युवाओं की जिंदगी भी बदली जो नशे की ओर बढ़ रहे थे। आज जब मुकादम मुंब्रा की गड्ढों, गंदगी और भीड़ भरी सड़कों से गुजरते हैं तो घूरने वाले अजनबियों को रोक नहीं सकते, क्योंकि वे उनके लोकल हीरो है।
स्टोरी 3: कार पुलिंग और ऑड-ईवन कार झारखंड के लिए किसी दूसरे ग्रह की बातों जैसी हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे हरियाली के बारे में नहीं सोचते। अन्य शहरों में हरियाली के बारे में सोचने से पहले ही रांची के 45 साल से अधिक की उम्र के सफल प्रोफेशनल्स ने पर्यावरण बचाने के लिए साइकल का उपयोग शुरू कर दिया था। इनमें इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कोल मैनेजमेंट के संजय कुमार सिंह, एक स्वयंसेवक संगठन के निदेशक एके सिंह, सीसीएल के स्पोर्ट्स प्रबंधक आदिल हुसैन, जिनकी कप्तानी में एमएस धोनी भी खेला करते थे, शामिल हैं। अपने कामों के सिलसिले में ये लोग रोजाना 6 से 12 किलोमीटर साइकल चलाते हैं। कई लोगों के लिए ये लोकल हीरो हैं।
फंडा यह है कि हर छोटे-बड़े समुदाय में और आपके आसपास हीरो की पोस्ट हमेशा खाली रहती है। कुछ अलग कीजिए और इसे हासिल कर लीजिए।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.