नरेंद्र मोदी सरकार ने पूर्व सैनिकों के लिए
बहुप्रतीक्षित वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) को मंजूरी देते हुए इसे दो महीने
के भीतर लागू करने का ऐलान कर दिया है। 84 दिनों से धरने पर बैठे पूर्व
सैनिकों ने मंजूरी का सैद्धांतिक तौर पर स्वागत किया है, लेकिन सरकार की
वीआरएस और पेंशन की पांच साल की समीक्षा संबंधी पेशकश पर आपत्ति जताते हुए
फिलहाल आंदोलन जारी रखने की बात कही है। रक्षा
मंत्री मनोहर परिकर ने
शनिवार सुबह आंदोलनकारियों से समझौते के अंतिम
मसौदे पर बातचीत के बाद ओआरओपी का औपचारिक ऐलान करते हुए कहा कि यह स्कीम
जुलाई 2014 से लागू की जाएगी। पूर्व सैनिकों ने इसे अप्रैल से लागू करने की
मांग की थी। परिकर की दलील है कि इस सरकार ने 26 मई 2014 को कार्यभार
संभाला था। लिहाजा इस योजना को सरकार संभालने के तुरंत बाद से लागू किया जा
रहा है। नई पेंशन स्कीम के निर्धारण के लिए 2013 कैलेंडर साल को आधार माना
जा रहा है। परिकर ने कहा कि ओआरओपी लागू करने के बाद पेंशन के एरियर यानी
बकाया राशि का भुगतान चार साल के भीतर हर छह महीने में की जाएगी लेकिन,
युद्ध में शहीद हुए कर्मियों की विधवाओं सहित सभी विधवाओं को एरियर का
भुगतान एकमुश्त किया जाएगा।परिकर के मुताबिक ओआरओपी को लागू करने से सरकारी खाते पर 8,000 से 10,000
करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जो कि भविष्य में और बढ़ता जाएगा।
इतना नहीं नहीं सिर्फ एरियर के भुगतान में 10 से 12 हजार करोड़ रुपये खर्च
होने का अनुमान है। परिकर ने साफ कर दिया कि फिलहाल स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति
(वीआरएस) लेने वाले अधिकारियों और कर्मियों को ओआरओपी का लाभ नहीं मिलने
जा रहा है। हालांकि, सरकार इस मामले की समीक्षा कर रही है ताकि गंभीर रूप
से घायल सैनिकों को इस श्रेणी से बाहर रखा जाए। सरकार ने कहा कि पेंशन की
व्यवस्था और गणना की जटिलता के मद्देनजर पेंशन में एकरूपता बनाए रखने के
लिए हर पांच साल पर इसकी समीक्षा की जाएगी। साथ ही एक सदस्यीय न्यायिक
समिति का गठन किया जा रहा है जो छह महीन में अपनी पहली रिपोर्ट देगी।
आंदोलनकारियों का इन्हीं दो मुद्दों पर विरोध है। पूर्व सैनिकों का कहना है
कि ओआरओपी की समीक्षा पांच साल के बजाए हरेक दो साल पर होनी चाहिए। इसके
अलावा न्यायिक कमेटी में एक सदस्य नहीं बल्कि पांच सदस्य होने चाहिए जिनमें
तीन पूर्व और एक वर्तमान सैन्य अधिकारी हो। आंदोलनकारी वीआरएस लेने वाले
सैनिकों को भी ओआरओपी योजना में शामिल करने की जिद पर अड़े हैं।
ऐलान का स्वागत मगर आंदोलन जारी रहेगा: पूर्व
सैनिक ओआरओपी में किए गए प्रावधानों से संतुष्ट नहीं हैं, लेकिन उन्होंने
घोषणा का स्वागत किया है। आंदोलन की अगुवाई कर रहे मेजर जनरल (रिटायर)
सतबीर सिंह ने कहा कि रक्षा मंत्री ने हमारी कई मांगें मानी हैं लेकिन कई
मसलों पर अभी स्पष्टीकरण आना बाकी है। वन रैंक वन पेंशन से जुड़ी सारी
मांगे पूरी होने के बाद ही आंदोलन खत्म होगा।
इन चार मुद्दों पर अटकी है बात:
- पेंशन समीक्षा: सरकार ने हर पांच साल पर पेंशन की समीक्षा की बात कही है, जबकि पूर्व सैनिक इसे हर दो साल पर करने की मांग कर रहे हैं।
- आधार वर्ष: वन रैंक वन पेंशन की गणना के लिए 2013 के कैलेंडर वर्ष को आधार बनाया गया है और यह जुलाई 2014 से लागू होगी। जबकि पूर्व सैनिक आेआरओपी को अप्रैल 2014 से लागू करने की मांग कर रहे हैं।
- न्यायिक आयोग: सरकार ने ओआरओपी के क्रियान्वयन के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग के गठन की बात कही है, जो छह माह में रिपोर्ट देगा। पूर्व सैनिकों ने पांच सदस्यीय आयोग की मांग की है जिसमें तीन प्रतिनिधि उनके हों और एक माह में रिपोर्ट दे।
- वीआरएस का मसला: स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेने वालों को लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि घायल होने के कारण स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेने वालों को इसका लाभ मिलेगा। पूर्व सैनिक सभी वीआरएस वालों को शामिल करना चाहते हैं।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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