Saturday, September 5, 2015

अध्यापक दिवस पर प्रधानमंत्री ने की बच्चों से ये बातें

बच्चों को शिक्षक का महत्व और अभिभावकों को अपनी जिम्मेदारी ठीक ढंग से निभाने की सीख के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को स्कूली बच्चों के सामने गुरु की भूमिका में आए। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस की याद में पांच सितंबर को मनाए जाने वाले शिक्षक दिवस से एक दिन पहले प्रधानमंत्री ने बच्चों को यह सिखाने की कोशिश की कि जिस तरह से मां बच्चों को जन्म देती है उसी तरह
शिक्षक उनका जीवन बनाता है। प्रधानमंत्री ने माता-पिताओं को भी सलाह दी कि वे अपने सपने बच्चों पर न थोपें। उनकी क्षमता और पसंद को जानें। साथ ही उन्हें पर्याप्त समय दें। बच्चों को रोबोट न बनाएं।
गुरु जी बन प्रधानमंत्री ने छात्रों को बताई शिक्षक की अहमियत: दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में प्रधानमंत्री दूसरी बार शिक्षक दिवस के मौके पर बच्चों से रूबरू हो रहे थे। इस मौके पर डॉ. राधाकृष्णन की याद में 125 और दस रुपये के सिक्के जारी किए। पीएम ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से तैयार कला उत्सव वेबसाइट को लांच किया। वेबसाइट में बच्चे चित्रकला, संगीत, नृत्य, गायन आदि क्षेत्रों में प्रतिभाओं का प्रदर्शन कर सकते हैं। खचाखच भरे मानेक शॉ सेंटर ही नहीं बल्कि नौ राज्यों के छात्रों ने भी सेटेलाइट लिंक से जुड़कर प्रधानमंत्री से कई सवाल किए। मणिपुर की एक छात्रा लिंडासीन शैली ने सवाल किया कि राजनेता बनने के लिए क्या किया जाए। जवाब में मोदी ने स्वीकार किया कि राजनीति बदनाम हो गई है। अच्छे लोग आने से कतराते हैं। मगर हर क्षेत्र से अच्छे लोगों को इसमें आना पड़ेगा। लोगों की समस्या सुलझाने के लिए आगे आना राजनीति का सबसे बड़ा मंत्र है। प्रधानमंत्री ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की प्रतिभा का जिक्र कर बच्चों को प्रेरित किया। प्रधानमंत्री ने एवरेस्ट पर चढ़ चुकीं तेलंगाना की छात्रा मालावत पूर्णा से पूछा कि एवरेस्ट से नीचे आने के बाद तुम्हारे दोस्त दूर तो नहीं भागते। उन्होंने कहा कि डॉक्टर एक ऑपरेशन करता है, तो उसकी बहुत चर्चा होती है। मगर डॉक्टर को पढ़ाने वाले शिक्षक की चर्चा नहीं होती। 
राजनीति हो गई है बदनाम, मगर अच्छे लोगों को आना पड़ेगा: राजनीति वाले क्या खेलते हैं सबको पता है कि राजनीति करने वाले क्या खेलते है। सबको मालूम है। कपड़े धोने नदी किनारे जाते थे, तो तैरना सीख गए। मगर किसी प्रतिस्पर्धा में भाग नहीं लिया। कबड्डी और खो खो भी खेला। योग भी बचपन से करते आ रहे हैं। 
कैरेक्टर की जगह एप्टीट्यूड सर्टिफिकेट: प्रधानमंत्री ने कहा है कि अब छात्रों को स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बात कैरेक्टर की जगह एप्टीट्यूड सर्टिफिकेट मिलेगा, जो उनके समग्र व्यक्तित्व को प्रदर्शित करेगा। अब एप्टीट्यूट सर्टिफिकेट में छात्र के अनुशासन, समयबद्धता और मित्रता की समीक्षा होगी।

साभार: अमर उजाला समाचार 

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