सरकार बदल गई पर सरकारी स्कूलों में खराब पड़े एजुसेट सिस्टम अभी तक शोपीस
बने हुए हैं। इस कारण स्कूल प्रबंधन सूचना प्रणाली पोर्टल के शुभारंभ पर
बच्चे मुख्यमंत्री की बात नहीं सुन पाए। ऐसा ही वाकया बीते 5 सितंबर को
शिक्षक दिवस पर भी हुआ था। तब भी एजुसेट खराब होने से बच्चे प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी की सीधी बात नहीं सुन पाए थे। एक तरफ प्रधानमंत्री डिजिटल
इंडिया का सपना देख रहे हैं, जबकि हमारे सरकारी स्कूलों
में वर्षाें से
खराब पड़े एजुसेट सिस्टम को ठीक नहीं किया जा रहा। यह सवाल प्रदेश सरकार से
उन छह हजार से अधिक स्कूल के बच्चों का है, जिनके यहां मंगलवार को
मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का सीधा प्रसारण नहीं हो पाया। सेकेंडरी शिक्षा
विभाग ने सोमवार को सभी जिला शिक्षा, मौलिक शिक्षा, खंड शिक्षा अधिकारियों व
प्राचार्यो और मुख्याध्यापकों को स्कूलों में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम का
प्रसारण एजुसेट के माध्यम से सुनिश्चित करने का निर्देश तो जारी कर दिया,
लेकिन उन्हें खराब पड़े एजुसेट की याद नहीं आई। सेकेंडरी शिक्षा विभाग के
निदेशक सिर्फ आदेश जारी करने तक सीमित रहे। उन्होंने किसी जिला शिक्षा
अधिकारी या स्कूल मुखिया से ये जानने का प्रयास नहीं किया कि उनके यहां
एजुसेट काम करते हैं या नहीं। यही वजह रही कि 6071 स्कूलों के बच्चे
मुख्यमंत्री की बात सेटेलाइट के जरिए नहीं सुन पाए। प्रदेश के 14 हजार 571
स्कूलों में से 8500 में स्कूल शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के
प्रसारण का दावा कर रहा है। जिस समय सुबह 11 बजे चालू हालत वाले एजुसेट पर
मुख्यमंत्री का कार्यक्रम लाइव चल रहा था, उसी समय कई जिलों के स्कूलों में
मुख्याध्यापक व प्राचार्य विभाग के उच्च अधिकारियों को कोस रहे थे।
उन्होंने एजुसेट ठीक कराने में ढुलमुल रवैया न अपनाया होता तो पूरे प्रदेश
के बच्चे मुख्यमंत्री की बात सुन पाते।
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साभार: जागरण
समाचार
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