Thursday, July 31, 2014

बीमा करवाएं तो कितनी राशि का?

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किसी अनहोनी की स्थिति में जीवन बीमा आपके अपनों को वित्तीय कठिनाइयों से बचाता है। ऐसे में लोगों को इस बात से तो इन्कार नहीं होता कि उनके पास जीवन बीमा योजना होनी चाहिए, लेकिन अधिकांश मामलों में यही लोग यह तय नहीं कर पाते कि उनके पास कितनी राशि का जीवन बीमा होना चाहिए। दरअसल, कई ऐसे कारक हैं जिनसे यह तय होता है कि आपको कितनी राशि का जीवन बीमा खरीदना चाहिए। 
  • न्यूनतम सुरक्षा की जरूरत: जब परिवार का मुखिया (जिसकी आमदनी से घर चलता हो) न रहे, तब भी यह जरूरी है कि उसके परिवार को हर महीने एक निश्चित राशि मिलती रहे। मान लीजिए, किसी परिवार का मौजूदा खर्च 25 हजार रुपए प्रति माह है। ऐसी स्थिति में उस परिवार के कमाऊ सदस्य के पास इतनी राशि का जीवन बीमा होना चाहिए कि उससे होने वाली ब्याज आय से उस परिवार को 25,000 रुपए हर महीने मिलते रहें, ताकि उनका खर्च चलता रहे। अगर कोई व्यक्ति भविष्य में बढ़ने वाली महंगाई की वजह से रुपए की क्रय शक्ति घटने की संभावना को देखते हुए अपने परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करना चाहता है, तो उसे अधिक राशि के बीमा प्लान लेना चाहिए। कहा जाता है कि आज तक किसी भी विधवा ने यह शिकायत नहीं की कि उसके पति ने अधिक राशि का बीमा लिया है। जैसे-जैसे किसी व्यक्ति पर परिवार की जिम्मेदारियां बढ़ती जाती हैं, जीवन बीमा की जरूरत वैसे-वैसे बढ़ती जाती है। ऐसे में परिवार की स्थितियों और परिस्थितियों को देखते हुए आपको समय-समय पर बीमा राशि की समीक्षा करते रहना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बीमा राशि पर्याप्त है। जीवन बीमा राशि की अधिकतम जरूरत मिड-फेज में होती है, जब किसी की शादी होती है और उसके बच्चे होते हैं। दूसरे शब्दों में, आपको तब तक जीवन बीमा खरीदना चाहिए, जब तक उसके एसेट्स उसकी जरूरतों से कम रहें।  
  • ह्यूमन लाइफ वैल्यू (HLV): आपके अपनों का जीवन अनमोल होता है, लेकिन भविष्य में आर्थिक समस्याएं न आएं, इसके लिए जरूरी है कि उनके जीवन की कीमत रुपयों में तय की जाए। ह्यूमन लाइफ वैल्यू किसी इंश्योर्ड पर्सन की संभावित आमदनी होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह वह आमदनी होती है, जो वह व्यक्ति अपनी बाकी कामकाजी जिंदगी में हासिल कर सकता है। 
  • कैसे करें एचएलवी की गणना: सबसे पहले उस व्यक्ति की कुल सालाना आमदनी की गणना करें। उसके बाद उसमें से वह राशि घटा दें जो वह अपने ऊपर खर्च करेगा। जो राशि बचेगी, वही उसकी एचएलवी होगी। मान लें कोई व्यक्ति हर साल 15 लाख रुपए कमाता है और अपने ऊपर 4.5 लाख रुपए खर्च करता है। ऐसे में वह हर साल अपने परिवार के लिए 10.5 लाख रुपए कमाता है। ऐसे में उसके न रहने की स्थिति में उसके परिवार को हर साल 10.5 लाख रुपयों की जरूरत होगी। तो अपने लिए बीमा लेते समय आपको इस गणना को ध्यान में रखना चाहिए।

साभार: भास्कर समाचार
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