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रियल एस्टेट सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले ये प्रचलित शब्द, कारपेट
एरिया, बिल्टअप एरिया और सुपर बिल्टअप एरिया खरीददारों को बहुत ही भ्रमित
करते हैं। इन शब्दों की आड़ में बिल्डर और ब्रोकर आम खरीददार को उलझाकर
अपना उल्लू सीधा करते हैं। एक आम खरीददार 1000 वर्ग फीट की कीमत चुकाकर 700
वर्ग फीट का फ्लैट पाता है। क्या है यह पूरा खेल? इस खेल का गणित क्या
है? कैसे बिल्डर लगाते है खरीददारों को चूना? आइए जानते हैं आज इसी के बारे में:
प्रॉपर्टी मार्केट का खेल: रियल एस्टेट सेक्टर को समझना एक आम खरीददार के लिए बहुत ही मुश्किल है।
बदलते समय के साथ इस सेक्टर की जानकारी लोगों तक पहुंची है, लेकिन अभी भी
वह बहुत कम है। कम समय में अधिक पैसा कमाने के लालच मे बिल्डर और ब्रोकर भी
खरीददार को सही जानकारी नहीं देते। ऑनलाइन के बढ़ते चलन से खरीददार
प्रॉपर्टी खरीदने से पहले काफी रिसर्च भी कर रहे है। लेकिन उसका दायरा बहुत
ही सीमित है। ज्यादातर खरीददार प्रोजेक्ट लोकेशन से लेकर मिलने वाली
सुविधाएं, कनेक्टिविटी, बिल्डर की साख आदि तक ही जानने की कोशिश करते हैं। बहुत कम ऐसे खरीददार होते हैं जो यह जान पाते है कि प्रोजेक्ट में लोडिंग
फैक्टर, कारपेट एरिया और FAR (फ्लोर एरिया रेशियो) क्या होता है। लेकिन,
ज्यादातर नहीं जान पाते हैं। बिल्डर और ब्रोकर इसी का फायदा उठाकर
धोखाधड़ी करते है। कैसे लोडिंग फैक्टर का खेल उनके साथ खेला जाता है।
कारपेट एरिया, बिल्टअप एरिया और सुपर बिल्टअप एरिया:
- कारपेट एरिया: फ्लैट की दीवारों के बीच के एरिया को कारपेट एरिया कहा जाता है। यूं कहें तो जिस एरिया में कालीन बिछायी जा सके उसे कारपेट एरिया कहते है। इसमें बालकनी को भी शामिल किया जाता है।
- बिल्टअप एरिया: कारपेट एरिया और दीवारों की मोटाई को मिलाकर जो एरिया होता है उसे बिल्टअप एरिया कहते हैं। ज्यादातर मामलों में यह कारपेट एरिया से 10 से 15 फीसदी अधिक होता है।
- सुपर बिल्टअप एरिया: प्रोजेक्ट के निर्माण एरिया को सुपर बिल्टअप एरिया कहा जाता है। इस एरिया में कॉमन स्पेस जैसे की लिफ्ट, सीढ़ियां, सुरक्षा कमरे, निर्मित क्षेत्र के लिए प्रवेश द्वार, लॉबी, गलियारा, पंप रूम, बिजली रूम वगैरह शामिल होते हैं।
लोडिंग फैक्टर: यदि कोई बिल्डर कहता है कि इस प्रोजेक्ट पर 1.25 लोडिंग फैक्टर है तो इसका
मतलब है कि 25 फीसदी एरिया फ्लैट के कारपेट एरिया में जोड़ दिया गया है।
यदि किसी फ्लैट का कारपेट एरिया 1000 वर्ग फीट + 1000 का 25 फीसदी = 1250 वर्ग
फीट सुपर बिल्टअप एरिया।
कैसे गणना करें अपार्टमेंट का लोडिंग फैक्टर:
मान लीजिए की फ्लैट का सुपर बिल्टअप एरिया = 1000 वर्ग फीट
कारपेट एरिया = 700 वर्ग फीट
लोडिंग = कारपेट एरिया x (1-लोडिंग फैक्टर) = सुपर बिल्टअप एरिया
700 x (1-लोडिंग फैक्टर) = 1000 वर्ग फीट
1-लोडिंग फैक्टर =1000/700 =1.42
लोडिंग फैक्टर = 0.42 या 42 फीसदी
बिल्डर सुपर बिल्टअप एरिया पर लोडिंग फैक्टर की गणना करते हैं:
1000 x (1-लोडिंग फैक्टर) =700
लोडिंग = कारपेट एरिया x (1-लोडिंग फैक्टर) = सुपर बिल्टअप एरिया
700 x (1-लोडिंग फैक्टर) = 1000 वर्ग फीट
1-लोडिंग फैक्टर =1000/700 =1.42
लोडिंग फैक्टर = 0.42 या 42 फीसदी
बिल्डर सुपर बिल्टअप एरिया पर लोडिंग फैक्टर की गणना करते हैं:
1000 x (1-लोडिंग फैक्टर) =700
1-लोडिंग फैक्टर=.7
लोडिंग फैक्टर = 0.3 या 30 फीसदी
लोडिंग फैक्टर = 0.3 या 30 फीसदी
कीमत पर असर:
यदि फ्लैट की साइज 1000 वर्ग फीट है।
यदि फ्लैट की साइज 1000 वर्ग फीट है।
प्रति वर्ग फीट दर 3500 रुपए है।
तो फ्लैट की कुल कीमत = 35 लाख रुपए हुआ।
यदि उस पर लोडिंग फैक्टर 40 फीसदी है तो उस फ्लैट का कारपेट एरिया 600 वर्ग फीट होगा।
कीमतों में अंतर:
सुपर बिल्टअप एरिया पर दर =3500 प्रति वर्ग फीट
तो फ्लैट की कुल कीमत = 35 लाख रुपए हुआ।
यदि उस पर लोडिंग फैक्टर 40 फीसदी है तो उस फ्लैट का कारपेट एरिया 600 वर्ग फीट होगा।
कीमतों में अंतर:
सुपर बिल्टअप एरिया पर दर =3500 प्रति वर्ग फीट
कारपेट एरिया पर फ्लैट की दर = 5833 रुपए प्रति वर्ग फीट
सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे बिल्डर खरीददारों को चूना लगाते हैं।
हालांकि प्रॉपर्टी मार्केट में लोडिंग फैक्टर के लिए कोई लिखित कानून नहीं
है। बड़े प्रोजेक्ट्स में लोडिंग फैक्टर छोटे प्रोजेक्ट्स के मुकाबले अधिक
होता है। इसकी वजह बड़े प्रोजेक्ट्स में काफी स्पेस सुविधाओं और कॉमन एरिया
में यूज होता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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