Wednesday, July 16, 2014

108 दवाइयों की कीमतें घटीं, न दें केमिस्ट को ज्यादा पैसे



नोट: इस पोस्ट को सोशल साइट्स पर शेयर/ ईमेल करने के लिए इस पोस्ट के नीचे दिए गए बटन प्रयोग करें। 
राष्‍ट्रीय दवा मूल्‍य निर्धारण अथॉरिटी (NPPA) ने एंटी-डायबिटिक, एचआईवी, मलेरिया और कार्डिओवैस्‍कुलर दवाओं के 108 फॉर्मूलेशन की कीमतें निर्धारित कर दी हैं। इस फैसले के बाद दवा कंपनियां अब अपनी मर्जी से इन दवाओं की कीमतों का निर्धारण नहीं कर पाएंगी। NPPA का यह कदम बहुत ही आश्‍चर्यजनक है, क्‍योंकि जिन दवाओं की कीमतें निर्धारित की गई हैं, वे राष्‍ट्रीय आवश्‍यक दवा सूची (एनएलईएम) के तहत सूचीबद्ध नहीं हैं। सरकार ने पिछले साल एनएलईएम के तहत 652 दवाओं की कीमतें दवा मूल्‍य नियंत्रण आदेश (DPCO) 2013 के अंतर्गत निर्धारित की थीं। 
किसे होगा फायदा: नई मूल्‍य सीमा 11 जुलाई से प्रभावी हो गई है। दवाओं का मूल्‍य नियंत्रित करने से 2 डॉलर प्रति दिन से कम कमाने वाली 70 फीसदी जनसंख्‍या को किफायती दवा उपलब्‍ध कराने में मदद मिलेगी। भारत की 1.2 अरब जनसंख्‍या में से 80 फीसदी के पास अभी भी स्‍वास्‍थ्‍य बीमा नहीं है। पिछले महीने सरकार ने देश में बिकने वाली कुल दवा का 30 फीसदी हिस्‍सा मूल्‍य नियंत्रण के दायरे में लाने के लिए दवाओं की सूची में इजाफा किया था। 
कंपनियों पर पड़ेगा असर: सरकार के इस कदम से सनोफी एसए, एबॉट लैबोरेटरीज और रैनबैक्‍सी जैसी दवा कंपनियों के लाभ पर विपरीत असर पड़ेगा। भारत में बिकने वाली जेनरिक दवाओं की कीमत पहले से ही अंतरराष्‍ट्रीय बाजार की तुलना में कम है, ऐसे में इस कदम के बाद दवा कंपनियों के राजस्‍व पर और अधिक दबाव बढ़ जाएगा। नोमूरा की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि एनपीपीए के इस ताजा कदम से फ्रेंच दवा निर्माता सनोफी एसए की भारतीय इकाई सनोफी इंडिया, यूएस की एबॉट लैबोरेटरीज की एबॉट हेल्‍थकेयर प्रा लि और स्‍थानीय कंपनी रैनबैक्‍सी समेत कई अन्‍य कंपनियां सबसे ज्‍यादा प्रभावित होंगी। विश्‍लेषक सजोन मुखर्जी और ललित कुमार ने इस रिपोर्ट में लिखा है कि हालांकि अभी यह असर सीमित है, लेकिन एनपीपीए द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद भविष्‍य में अतिरिक्‍त नियंत्रण का जोखिम बढ़ गया है।


साभार: भास्कर समाचार
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE