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सोशल मीडिया से आपराधिक मामले काफी बढ़ रहे हैं। हाल ही में भारत में दो ऐसे मामले
सामने आए हैं, जिनमें फेसबुक से फेक प्रोफाइल (फर्जी आईडी) का इस्तेमाल करके लोगों से
ठगी की गई है।
केस 1: फेसबुक के जरिए लूट लिए 1.3 करोड़ रुपए
देहरादून की एक महिला फेसबुक से किए गए झांसे में आकर 1.3 करोड़ रुपए गंवा
बैठी। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, आरोपी ने
देहरादून में वृद्धाश्रम खोलने के लिए महिला को 9 करोड़ रुपए देने का वादा
किया था, लेकिन इससे पहले उसने इस रकम की टैक्स अदायगी करने को कहा। राम
विहार की रहने वाली बीना ठाकुर इस झांसे में आ गई और अलग-अलग बैंक खातों
में 1.3 करोड़ रुपए जमा करवा दिए।
केस 2: फेक प्रोफाइल बनाकर की अश्लील बातें
सागर के पूर्व विधायक बेलूर गोपालकृष्णन की बेटी मेघा वंदना को उस वक्त जबर्दस्त झटका लगा, जब उन्हें पता चला कि कोई शख्स उनकी तस्वीर का इस्तेमाल फेसबुक और अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपनी प्रोफाइल पिक्चर के तौर पर कर रहा है और लड़कों से अश्लील बातें कर रहा है। बाद में जब आरोपी की गिरफ्तारी हुई तो मेघा को और भी झटका लगा। आरोपी कोई और नहीं, बल्कि स्कूल की उनकी पुरानी दोस्त प्रतिमा थी।
फेक अकाउंट के मामले में भारत और तुर्की सबसे आगे:
केस 2: फेक प्रोफाइल बनाकर की अश्लील बातें
सागर के पूर्व विधायक बेलूर गोपालकृष्णन की बेटी मेघा वंदना को उस वक्त जबर्दस्त झटका लगा, जब उन्हें पता चला कि कोई शख्स उनकी तस्वीर का इस्तेमाल फेसबुक और अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपनी प्रोफाइल पिक्चर के तौर पर कर रहा है और लड़कों से अश्लील बातें कर रहा है। बाद में जब आरोपी की गिरफ्तारी हुई तो मेघा को और भी झटका लगा। आरोपी कोई और नहीं, बल्कि स्कूल की उनकी पुरानी दोस्त प्रतिमा थी।
फेक अकाउंट के मामले में भारत और तुर्की सबसे आगे:
फेसबुक की मासिक रिपोर्ट (अप्रैल 2014) के अनुसार, ऐसे नकली अकाउंट की
संख्या भारत व तुर्की जैसे विकासशील देशों में अधिक है। इसके अनुसार, 31
मार्च 2014 तक फेसबुक के 1.28 अरब एमएयू थे, जो पिछले साल की तुलना में 15
प्रतिशत अधिक है। पहली तिमाही (2014) में उसकी वृद्धि में भारत व ब्राजील
के यूजर्स का काफी योगदान रहा।
फेसबुक में फेक प्रोफाइल का इस्तेमाल करके लोग कई बार गैरकानूनी काम करते हैं। वैसे तो फेसबुक प्रोफाइल पर फेक अकाउंट का पता लगाना बहुत मुश्किल है, लेकिन एक ऐसा ऐप बनाया गया है, जो इस काम में यूजर्स की मदद कर सकता है। इस ऐप का नाम है 'फेकऑफ'। इसके अलावा, कुछ ऐसी टिप्स भी हैं, जिनकी मदद से फेसबुक पर यूजर्स सुरक्षित रह सकते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं फेसबुक पर फेक अकाउंट्स का पता लगाने वाले इस ऐप के बारे में। इसके अलावा, कुछ ऐसी टिप्स जिन्हें ध्यान में रखकर आप फेक अकाउंट्स से बच सकते हैं।
FAKE OFF App: फेसबुक पर फेक अकाउंट को पहचानना इतना आसान नहीं होता, लेकिन इजरायल स्थित एक कंपनी ने ऐसा मोबाइल ऐप बनाया है जो फेसबुक पर फेक अकाउंट का पता लगाने में मदद करेगा। दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर फेक अकाउंट का पता लगाने का दावा करने वाला यह ऐप 'फेकऑफ' के नाम से पेश किया गया है। इजरायली डेवलपर इलिरैन शाचार (Eliran Shachar) ने इस ऐप को डिजाइन किया है। इलिरैन शाचार ने सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट्स की वजह से लोगों को होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए इस ऐप को बनाया है।
फेसबुक में फेक प्रोफाइल का इस्तेमाल करके लोग कई बार गैरकानूनी काम करते हैं। वैसे तो फेसबुक प्रोफाइल पर फेक अकाउंट का पता लगाना बहुत मुश्किल है, लेकिन एक ऐसा ऐप बनाया गया है, जो इस काम में यूजर्स की मदद कर सकता है। इस ऐप का नाम है 'फेकऑफ'। इसके अलावा, कुछ ऐसी टिप्स भी हैं, जिनकी मदद से फेसबुक पर यूजर्स सुरक्षित रह सकते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं फेसबुक पर फेक अकाउंट्स का पता लगाने वाले इस ऐप के बारे में। इसके अलावा, कुछ ऐसी टिप्स जिन्हें ध्यान में रखकर आप फेक अकाउंट्स से बच सकते हैं।
FAKE OFF App: फेसबुक पर फेक अकाउंट को पहचानना इतना आसान नहीं होता, लेकिन इजरायल स्थित एक कंपनी ने ऐसा मोबाइल ऐप बनाया है जो फेसबुक पर फेक अकाउंट का पता लगाने में मदद करेगा। दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर फेक अकाउंट का पता लगाने का दावा करने वाला यह ऐप 'फेकऑफ' के नाम से पेश किया गया है। इजरायली डेवलपर इलिरैन शाचार (Eliran Shachar) ने इस ऐप को डिजाइन किया है। इलिरैन शाचार ने सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट्स की वजह से लोगों को होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखते हुए इस ऐप को बनाया है।
फेकऑफ कैसे करता है काम: फेसबुक
पर फेक अकाउंट कई ग्रुप्स में होते हैं। इनमें क्रिमिनल से लेकर कमर्शियल
तक, लगभग सभी तरह के फेक अकाउंट मिल जाते हैं। फेकऑफ ऐप एक खास एल्गोरिदम
का प्रयोग कर फेसबुक प्रोफाइल को 1 से लेकर 10 तक की रेंज में नंबर देता
है। यह स्कैनिंग मौजूदा समय से पिछले एक साल (365 दिन) तक चलती है। ऐप में
फेसबुक प्रोफाइल की कोई भी अलग गतिविधि को चेक किया जाता है और उस हिसाब से
ही फेक अकाउंट का पता लगाया जाता है। इस ऐप में फेसबुक की टाइमलाइन की सभी गतिविधियां देखी जाती हैं। यह
एप्लिकेशन https://www.fakeoff.me/ पर मिलेगा। इस ऐप की लोकप्रियता का
अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ऐप के लॉन्च होने के दो महीनों के
अंदर ही इसके 15000 यूजर्स बन गए थे। इस ऐप का सबसे बड़ा फायदा ये है कि यूजर्स जो कुछ भी करेंगे, वो प्राइवेट
रहेगा। इसके अलावा, रियल टाइम नोटिफिकेशन भी मिलेंगे। इसके अलावा, फेक ऑफ
एप्लिकेशन की मदद से इमेज फ्रॉड स्कैन भी किया जा सकता है। फेकऑफ बनाने वाले इलिरैन शाचार (Eliran Shachar) ने जनवरी में इस ऐप को लॉन्च करते समय कहा था कि फेसबुक
के 1.35 बिलियन यूजर्स में से लगभग 10 प्रतिशत फेक अकाउंट होते हैं। इस ऐप
की मदद से यूजर्स को ऐसे अकाउंट और इनकी गतिविधियों से बचाया जा सकता है।
शाचार के मुताबिक, ऐप की मदद से जांचे गए सभी अकाउंट्स में से 24 प्रतिशत
फेक निकलते हैं। फेक ऑफ ऐप का एल्गोरिथम टेस्ट पूरी तरह से एक्युरेट तो नहीं कहा जा सकता
है, लेकिन फिर भी इस ऐप को काफी हद तक सही अनुमान के लिए इस्तेमाल किया जा
सकता है। इस ऐप का आधिकारिक पेज फेसबुक पर भी मिल जाएगा, जहां से आप इसे
कम्प्यूटर पर इस्तेमाल कर सकते हैं।
प्रोफाइल पिक्चर और अन्य फोटोज: किसी भी रियल अकाउंट होल्डर की कम से कम एक या दो असली तस्वीरें फेसबुक पर होती हैं। अगर आपको कोई रिक्वेस्ट आती है तो सबसे जरूरी है कि आप अनजान व्यक्ति की प्रोफाइल चेक करें। अगर उसमें कोई भी रियल फोटो नहीं दिखती है तो हो सकता है कि यह फेक प्रोफाइल हो। अगर कोई असली जैसी लगने वाली फोटो दिखती है तो उसे आप गूगल पर सर्च भी कर सकते हैं। इसके लिए
प्रोफाइल पिक्चर और अन्य फोटोज: किसी भी रियल अकाउंट होल्डर की कम से कम एक या दो असली तस्वीरें फेसबुक पर होती हैं। अगर आपको कोई रिक्वेस्ट आती है तो सबसे जरूरी है कि आप अनजान व्यक्ति की प्रोफाइल चेक करें। अगर उसमें कोई भी रियल फोटो नहीं दिखती है तो हो सकता है कि यह फेक प्रोफाइल हो। अगर कोई असली जैसी लगने वाली फोटो दिखती है तो उसे आप गूगल पर सर्च भी कर सकते हैं। इसके लिए
1. जिस फोटो को सर्च करना है, उसे अपने डेस्कटॉप पर सेव करें।
2. अपना ब्राउजर खोलें।
3. गूगल इमेज पर जाकर फोटो को ड्रॉप कर दें। गूगल अपने आप उस फोटो से मिलती-जुलती हर फोटो आपको दिखा देगा।
नेम सर्च: सिर्फ फोटो ही नहीं, अगर आपको किसी भी प्रोफाइल के फेक होने का शक है तो उस प्रोफाइल नेम को भी गूगल सर्च कीजिए। अगर वो असली नाम होगा, तो गूगल पर कोई ना कोई मिलता-जुलता सर्च रिजल्ट आपको मिल ही जाएगा।
सेलिब्रिटी प्रोफाइल: अगर किसी ऐसे इंसान ने आपको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी है, जिसकी प्रोफाइल किसी सेलिब्रिटी के होने का दावा करती है तो सावधान हो जाएं। कोई भी सेलिब्रिटी ऐसे किसी को रिक्वेस्ट नहीं भेजता। ऐसे केस में 90 प्रतिशत फेक अकाउंट होते हैं। किसी भी सेलिब्रिटी की प्रोफाइल के आगे ब्लू रंग का चेक का निशान बना होगा, जो सिर्फ वेरिफाइड अकाउंट्स में मिलता है। किसी भी सेलिब्रिटी अकाउंट को फॉलो करते समय भी इस बात का ध्यान जरूर रखें।
फेक जेंडर: फेसबुक पर आधे से ज्यादा फेक अकाउंट किसी लड़की के नाम से बनाए जाते हैं। पुरुषों को लड़कियां आकर्षक लगती हैं और लड़कियों से किसी लड़की की अच्छी दोस्ती हो सकती है। इसलिए किसी भी अनजान लड़की को दोस्त बनाने से पहले पूरी तरह से जांच पड़ताल कर लें।
ना करें अजनबियों से बात: अगर कोई आपको प्राइवेट मैसेज भेज रहा है, तो उसकी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करने से पहले कम से कम दो बार सोच लें। अगर आप किसी अजनबी की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करना चाहते हैं, तो उसके असली दोस्तों, प्रोफाइल पिक्चर के बारे में जांच-पड़ताल करने से झिझकें मत।
प्राइवेसी सेटिंग्स का रखें ख्याल: फेसबुक पर यूजर्स अपनी प्राइवेसी सेटिंग्स का ख्याल रखें। अपनी फोटोज को लॉक करके रखें। इसके अलावा, यूजर्स अपनी फेसबुक प्रोफाइल की सेटिंग्स में जाकर प्राइवेसी लॉक भी लगा सकते हैं। इसमें कौन मैसेज कर सकता है, कौन फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज सकता है, कौन नोटिफिकेशन भेज सकता है और कौन टैग कर सकता है, इन सब फीचर्स पर यूजर्स अपने हिसाब से लॉक लगा सकते हैं।
बर्थ डेट चेक करें: यह बात ध्यान देने योग्य है कि फेसबुक पर फेक अकाउंट बनाने वाले लोग 01/01/XXXX और 31/12/XXXX जैसी डेट ऑफ बर्थ का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। अगर कोई अजीब डेट ऑफ बर्थ दिखे तो उसे पहले जांच लें।
प्रोफाइल को ध्यान से पढ़ें: जो लोग फेक अकाउंट बनाते हैं, उनकी प्रोफाइल में या तो एजुकेशन डिटेल्स होती ही नहीं है या फिर किसी ऊंचे संस्थान का नाम दिया होता है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई 24 साल का व्यक्ति दावा करता है कि वो किसी कंपनी का CEO है, तो यह अकाउंट फेक हो सकता है। ऐसे लोगों से बचना चाहिए।
2. अपना ब्राउजर खोलें।
3. गूगल इमेज पर जाकर फोटो को ड्रॉप कर दें। गूगल अपने आप उस फोटो से मिलती-जुलती हर फोटो आपको दिखा देगा।
नेम सर्च: सिर्फ फोटो ही नहीं, अगर आपको किसी भी प्रोफाइल के फेक होने का शक है तो उस प्रोफाइल नेम को भी गूगल सर्च कीजिए। अगर वो असली नाम होगा, तो गूगल पर कोई ना कोई मिलता-जुलता सर्च रिजल्ट आपको मिल ही जाएगा।
सेलिब्रिटी प्रोफाइल: अगर किसी ऐसे इंसान ने आपको फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी है, जिसकी प्रोफाइल किसी सेलिब्रिटी के होने का दावा करती है तो सावधान हो जाएं। कोई भी सेलिब्रिटी ऐसे किसी को रिक्वेस्ट नहीं भेजता। ऐसे केस में 90 प्रतिशत फेक अकाउंट होते हैं। किसी भी सेलिब्रिटी की प्रोफाइल के आगे ब्लू रंग का चेक का निशान बना होगा, जो सिर्फ वेरिफाइड अकाउंट्स में मिलता है। किसी भी सेलिब्रिटी अकाउंट को फॉलो करते समय भी इस बात का ध्यान जरूर रखें।
फेक जेंडर: फेसबुक पर आधे से ज्यादा फेक अकाउंट किसी लड़की के नाम से बनाए जाते हैं। पुरुषों को लड़कियां आकर्षक लगती हैं और लड़कियों से किसी लड़की की अच्छी दोस्ती हो सकती है। इसलिए किसी भी अनजान लड़की को दोस्त बनाने से पहले पूरी तरह से जांच पड़ताल कर लें।
ना करें अजनबियों से बात: अगर कोई आपको प्राइवेट मैसेज भेज रहा है, तो उसकी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करने से पहले कम से कम दो बार सोच लें। अगर आप किसी अजनबी की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करना चाहते हैं, तो उसके असली दोस्तों, प्रोफाइल पिक्चर के बारे में जांच-पड़ताल करने से झिझकें मत।
प्राइवेसी सेटिंग्स का रखें ख्याल: फेसबुक पर यूजर्स अपनी प्राइवेसी सेटिंग्स का ख्याल रखें। अपनी फोटोज को लॉक करके रखें। इसके अलावा, यूजर्स अपनी फेसबुक प्रोफाइल की सेटिंग्स में जाकर प्राइवेसी लॉक भी लगा सकते हैं। इसमें कौन मैसेज कर सकता है, कौन फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज सकता है, कौन नोटिफिकेशन भेज सकता है और कौन टैग कर सकता है, इन सब फीचर्स पर यूजर्स अपने हिसाब से लॉक लगा सकते हैं।
बर्थ डेट चेक करें: यह बात ध्यान देने योग्य है कि फेसबुक पर फेक अकाउंट बनाने वाले लोग 01/01/XXXX और 31/12/XXXX जैसी डेट ऑफ बर्थ का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। अगर कोई अजीब डेट ऑफ बर्थ दिखे तो उसे पहले जांच लें।
प्रोफाइल को ध्यान से पढ़ें: जो लोग फेक अकाउंट बनाते हैं, उनकी प्रोफाइल में या तो एजुकेशन डिटेल्स होती ही नहीं है या फिर किसी ऊंचे संस्थान का नाम दिया होता है। उदाहरण के तौर पर अगर कोई 24 साल का व्यक्ति दावा करता है कि वो किसी कंपनी का CEO है, तो यह अकाउंट फेक हो सकता है। ऐसे लोगों से बचना चाहिए।
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साभार: भास्कर समाचार
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