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चीनी सेहत के लिए धीमा जहर है और गुड़ स्वास्थ्य के लिए अमृत है। चीनी को सफेद ज़हर कहा जाता है। जबकि गुड़ स्वास्थ्य के लिए अमृत है।
क्योंकि गुड़ खाने के बाद वह शरीर में क्षार पैदा करता है जो हमारे पाचन को
अच्छा बनाता है (इसलिए बागभट्टजी ने खाना खाने के बाद थोड़ा सा गुड़ खाने
की सलाह दी है)। जबकि चीनी अम्ल (Acid) पैदा करती है जो शरीर के लिए
हानिकारक है। गुड़ को पचाने में शरीर को यदि 100 केलोरी उर्जा लगती है तो
चीनी को पचाने में 500 केलोरी खर्च होती है। गुड़ में कैल्शियम के साथ-साथ
फोस्फोरस भी होता है। जो शरीर के लिए बहुत अच्छा माना जाता है और हड्डियों
को बनाने में सहायक होता है। जबकि चीनी को बनाने की पक्रिया में इतना अधिक
तापमान होता है कि फोस्फोरस जल जाता है इसलिए अच्छी सेहत के लिए गुड़ का
उपयोग करें।
- चीनी मिलें हमेशा घाटे में रहती हैं। चीनी बनाना एक मँहगी प्रक्रिया है और हजारों करोड़ की सब्सिडी और चीनी के ऊँचे दामों के बावजूद किसानों को छह छह महीनों तक उनके उत्पादन का मूल्य नहीं मिलता है।
- चीनी के उत्पादन से रोजगार कम होता है वहीं गुड़ के उत्पादन से भारत के तीन लाख से कहीं अधिक गाँवों में करोड़ों लोगों को रोजगार मिल सकता है।
- चीनी के प्रयोग से डायबिटीज, हाइपोग्लाइसेमिया जैसे घातक रोग होते हैं।
- चीनी चूँकि कार्बोहाइड्रेट होता है इसलिए यह सीधे रक्त में मिलकर उच्च रक्तचाप जैसी अनेक बीमारियों को जन्म देता है जिससे हर्ट अटेक का खतरा बढ़ जाता है।
- चीनी का प्रयोग आपको मानसिक रूप से भी बीमार बनाता है। प्रमाण यहाँ देखिए।
- गुड़ में फाइबर और अन्य पौष्टिक तत्व बहुत अधिक होते हैं जो शरीर के बहुत ही लाभदायक है।
- गुड़ में लौह तत्व और अन्य खनिज तत्व भी पर्याप्त मात्रा में होते हैं।
- गुड़ भोजन के पाचन में अति सहायक है। खाने के बाद कम से कम बीस ग्राम गुड़ अवश्य खाएँ। आपको कभी बीमारी नहीं होगी।
- च्युइँगगम और कैँडी खाने से दाँत खराब होते हैं।
- गुड़ के निर्माण की प्रक्रिया आसान है और सस्ती है जिससे देश को हजारों करोड़ रुपए का लाभ होगा और किसान सशक्त बनेगा।
- गुड को दूध में मिलाके पीना वर्जित है इसलिये पहले गुड खाकर फ़िर दूध पिये।
- गुड को दही में मिलाके खाया जा सकता है बिहार में खासकर इसे खाया जाता है जो काफ़ी स्वादिष्ट लगता है।
- गुड की गज्ज्क, रेवडी आदि भी अच्छी होती है।
- अंग्रेजों को भारत से चीनी की आपूर्ति होती थी और भारत के लोग चीनी के बजाय गुड (Jaggary) बनाना पसंद करते थे और गन्ना चीनी मीलों को नहीं देते थे। अंग्रेजों ने गन्ना उत्पादक इलाकों में गुड बनाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया और गुड बनाना गैरकानूनी घोषित कर दिया था और वो कानून आज भी इस देश में चल रहा है।
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साभार: राजीव दीक्षित जी के पेज से
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