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हर बच्चे की पहली गुरु मां
होती है। ऐसे में अनुशासन का सबक भी बच्चे अपनी मां से ही पाते हैं। दो साल
का होने के बाद ही बच्चे में अनुशासन के बीज आपको बोने होंगे। इसके लिए आपको इन बातों पर ध्यान देना होगा:
- न कहने की आदत से बचें: यदि आपकी आदत बार-बार न कहने की है तो यह बच्चा भी ग्रहण करेगा। हर बात में वो यही कहेगा। धीरे-धीरे यही आदत में बदल जाएगा। इसलिए न कहने से पहले ध्यान दें। उसे प्यार से समझाएं।
- ट्रिगर प्वॉइंट्स: सामान फैलाने की आदत, दीवार पर लिखना, खिलौने किसी से शेयर न करना जैसी आदतों पर ध्यान दें। यदि ऐसा है तो सामान बच्चे की पहुंच से दूर रखें। क्रेयॉन्स बंद डिब्बे में रखें और अपने सामने ही उसे इस्तेमाल करने दें। कई बार बच्चे भूख के कारण भी ऐसा करते हैं। उन्हें हेल्दी खाना खिलाएं, पूरी नींद लेने दें और उनकी ऊर्जा खर्च हो, इसके लिए भरपूर खेल खेलने दें।
- अपने निर्णय पर अडिग रहें: दो से तीन साल की उम्र में बच्चे अपनी एक्टिविटी पर आसपास के लोगों की प्रतिक्रिया नोटिस करते हैं। यदि आप एक बार उसे बॉल फेंकने देंगी, अगली बार नहीं तो वह कन्फ्यूज होगा। बच्चे की कोई हरकत आपको गलत लगे तो उसे गलत ही कहें, प्यार में या यूं ही उसे गलती न करने दें। वरना वह हर बार यही करेगा।
- प्यार से समझाएं: यदि आपका बच्चा ब्रश करने से मना कर दे या आपकी कोई बात न माने तो जोर न चिल्लाएं। ऐसे में बच्चे आपके फेशियल एक्सप्रेशंस समझने की कोशिश करते हैं। किस बात पर चिल्लाया जा रहा है, यह नहीं। इसलिए उन्हें प्यार से समझाएं।
- छोटे वाक्य बोलें: अक्सर बच्चा जब गलती करता है तो आप उसे डांटने लगती हैं। इस दौरान आप लंबे-लंबे वाक्य बोलती हैं जो उसे समझ नहीं आते। इसलिए छोटे वाक्य बोलें। जैसे, यदि बच्चा सोफे पर कूद रहा है तो उसे सोफे से गिरने के नुकसान गिनाने, डांटने के बजाय सिर्फ इतना कहें कि सोफे पर न कूदे, चोट लग जाएगी। वाक्य को दो-तीन बार दोहराएं ताकि वह आपकी बात समझ जाए।
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साभार: भास्कर समाचार
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