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फरवरी 2015 के बाद जारी किए गए
सभी चेकों को अब अनिवार्य तौर पर चेक ट्रंकेशन सिस्टम (सीटीएस) के अनुरूप
होना होगा। इसके लिए धीरे-धीरे नॉन-सीटीएस चेकों को व्यवस्था से बाहर किया
जा रहा है। इसके तहत एक मई 2014 से नॉन-सीटीएस चेकों की क्लियरिंग हफ्ते
में केवल दो बार (सोमवार और शुक्रवार को) की जा रही है। यह व्यवस्था 31
अक्टूबर 2014 तक चलेगी। इसके बाद एक नवंबर 2014 से इनकी क्लियरिंग हफ्ते
में केवल एक दिन (सोमवार को) की जाएगी। उसके बाद फरवरी 2015 से नई व्यवस्था पूरी तरह लागू हो जाएगी। इस नई व्यवस्था के तहत कलेक्शन के लिए चेक को फिजिकल तौर पर ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती। अब चेक की इमेज ले कर ही उसे क्लियरिंग के लिए भेजा जाता है। ऐसे में चेक कलेक्शन का काम तेजी से होता है और क्लियरिंग के लिए चेक ले जाते समय इसके खो जाने या धोखाधड़ी होने की संभावना भी काफी कम हो जाती है। चेक से लेन-देन करने वाले व्यक्ति को कुछ बुनियादी बातें ध्यान में रखनी चाहिए ताकि चेक का सुरक्षित उपयोग हो सके।
- पेई (Payee) का नाम सही तरीके से भरा जाए, जो अमाउंट भरा जाए, वह शब्दों और अंकों में एक ही हो और इसमें तारीख भी सही तरीके से भरी जाए।
- किसी बियरर चेक की राशि किसी भी व्यक्ति को दी जा सकती है जो इसे पेश करता है। अगर किसी चेक की अदायगी किसी खास व्यक्ति को की जानी है, उस चेक से बियरर शब्द काट देना चाहिए। ऐसी स्थिति में बैंक की ओर से उसे अदायगी होती है, जिस पेई का नाम उस चेक पर लिखा हुआ है।
- चेक के ऊपरी हिस्से पर बायें कोने में दो पैरेलल लाइन्स बनाना यब बताता है कि काउंटर पर उस चेक का पेमेंट नहीं किया जा सकता, यानि ऐसी स्थिति में किसी बैंक खाते में ही इसका पेमेंट किया जा सकता है।
- अगर उन पैरेलल लाइन्स के बीच ‘एकाउंट पेई’ लिखा हुआ है, तो इसका मतलब यह है कि उस चेक का पेमेंट केवल उसी व्यक्ति के बैंक खाते में हो सकता है जिसका नाम उस चेक पर लिखा हुआ है।
- पेई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह चेक पुराना होने से पहले पेमेंट के लिए बैंक में पेश कर दिया जाए। इसका मतलब यह है कि चेक पर डाली गई तारीख के तीन महीने के भीतर उसे पेमेंट के लिए पेश कर देना चाहिए।
- अगर चेक सही तरीके से नहीं लिखा गया है या जिस खाते से अदायगी की जानी है, उसमें पर्याप्त राशि नहीं है, तो चेक बिना पेमेंट के वापस कर दिए जाते हैं।
- अगर खाते में अपर्याप्त राशि होने की वजह से चेक वापस लौट जाता है, तो नेगोशिएबल इन्स्ट्रुमेंट्स एक्ट के सेक्शन 138 के तहत यह एक फौजदारी अपराध माना जाता है। ऐसा होने के बाद पेई वह चेक जारी करने वाले को इस आशय का नोटिस भेज सकता है। यह नोटिस जारी करने के 30 दिनों के भीतर यदि चेक जारी करने वाला व्यक्ति कोई जवाब नहीं देता, तो उस एमाउंट की रिकवरी के लिए वह कोर्ट का सहारा ले सकता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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