Sunday, September 4, 2016

बच्चे छोटे हैं, इनसे क्या होमवर्क करवाना: चौथी तक के बच्चों को न दिया जाए होमवर्क

अमेरिका के टेक्सास में एक स्कूल के स्टैंडर्ड चार तक के बच्चों के अभिभावकों को पिछले हफ्ते एक चिट्ठी मिली। इसमें कहा गया कि अब बच्चों को होमवर्क नहीं दिया जाएगा। उनका होमवर्क सिर्फ यह है कि स्कूल में उस दिन पढ़ाई गई कोई चीज उनसे छूट गई हो तो अभिभावक उनकी मदद कर दें। अन्यथा, वे खेले-कूदें, दोस्तों
और परिवार के लोगों के साथ वक्त बिताएं, साथ खाएं-पीएं और भरपूर गहरी नींद लें। शिक्षिका ब्रैंडी यंग ने अपनी चिट्ठी में इसे ‘नो फॉर्मल होमवर्क पॉलिसी’ नाम दिया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इस चिट्ठी ने अमेरिका में इस चर्चा को फिर केंद्र में ला दिया है कि क्या हम बच्चों पर पढ़ाई लाद तो नहीं रहे हैं। यह सवाल हमारे-आपके लिए भी मौजूं हैं क्योंकि पश्चिम की तरह अपने यहां भी छोटे स्कूली बच्चों से होमवर्क कराने पर जोर दिया जाता है। लेकिन पश्चिम में ही विशेषज्ञ कह रहे हैं कि स्टैंडर्ड चार तक के बच्चों से होमवर्क नहीं कराए जाने चाहिए। इसकी वजह भी वे वही बता रहे हैं, जो अपने यहां हैं। बच्चों के होमवर्क अधिकतर अभिभावक ही करते हैं। होमवर्क पर हाल में शोध करने वाली स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ग्रैजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन की प्रोफेसर डिनाइस पोप होमवर्क के खिलाफ हैं। उन्होंने पाया कि किताबों से जूझते रहने वाले बच्चों में डिप्रेशन बढ़ रहा है। प्राथमिक स्कूल के बच्चों को होमवर्क की जगह घर पर ऐसी कोई भी चीज पढ़ने-लिखने, खेलने-करने की इजाजत दी जानी चाहिए जो उनकी रुचि की हो।कुछ विशेषज्ञ कह रहे हैं कि एकदम से होमवर्क न देना शायद गलत कदम होगा। एक अन्य चर्चित किताब ‘द बैट्ल ओवर होमवर्क’ के लेखक और ड्यूक यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञानी हैरिस कूपर ने अपने हाल के अध्ययन के आधार पर कहा है कि स्टैंडर्ड दो तक के बच्चों को ऐसे होमवर्क दिए जाने चाहिए जो वे 20 मिनट तक में कर ले सकें। कूपर का मानना है कि इससे बच्चों में वर्तनी सुधारने, शब्द भंडार समृद्ध करने और उनका मैथ बेहतर करने में मदद मिलती है।

बच्चों को होमवर्क न देने को लेकर चर्चित किताब ‘एंड द होमवर्क’ के लेखक एटा क्रैलोवेक यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना साउथ में हैं। हाल में किए अध्ययन में उन्होंने पाया कि बच्चों को होमवर्क का नकारात्मक ही प्रभाव पड़ता है। वैसे भी, होमवर्क मिलता बच्चों को है लेकिन अगर पति-पत्नी दोनों कामकाजी हैं तो उनमें तनाव बहुत बढ़ता जाता है। इसका प्रभाव फिर उन बच्चों पर ही पड़ता है।

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साभारजागरण समाचार 
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